वैज्ञानिकों ने मानव जीनोम को लेकर अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। अब दुनिया की आठ अरब आबादी में होने वाली कई जेनेटिक भिन्नताओं और म्यूटेशन से होने वाली बीमारियों का पता लगाना आसान होगा। जहां वैज्ञानिकों ने साल 2003 तक पूरे ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट का 92% जीनोम पता लगाने में सफलता हासिल की थी, वहीं अब जीनोम के हर हिस्से का पता लगाया जा चुका है।
अभी तक वैज्ञानिक 8 फीसदी हिस्सा नहीं पढ़ पाए थे। ताजा शोध के मुताबिक 20 सालों के सफर में वैज्ञानिकों ने यह कामयाबी हासिल की है। बता दें यह शोध पिछले साल पूरा हो गया था। पीयर रिव्यू के बाद साइंस जर्नल में इसे अप्रैल 2022 के अंक में प्रकाशित किया गया है।
इस खोज से कई फायदे होंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार, जीनोम के पूरे हिस्से की जानकारी मिलने के बाद कैंसर, हृदय, नर्वस सिस्टम, बढ़ती उम्र संबंधित बीमारियों के आकलन में मदद मिलेगी। नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक एरिक ग्रीन ने कहा कि, एक सही और पूर्ण मानव जीनोम सीक्वेंस हमारे डीएनए ब्लूप्रिंट को एक व्यापक दृष्टिकोण देगा।
एनएचजीआरआई में वैज्ञानिक एडम फिलिप्पी ने कहा कि, आने वाले भविष्य में जब हम किसी का जीनोम सीक्वेंस करेंगे तो, हम बता पाएंगे कि, उनके डीएनए में क्या-क्या अलग है और इससे उनकी स्वास्थ्य देखभाल बेहतर तरीके से की जा सकेगी।
यह शोध अमेरिका के कई वैज्ञानिक संस्थाओं के साझा प्रयास का नतीजा है। नेशनल ह्यूमन जीनोम रिसर्च इंस्टीट्यूट (अमेरिका), यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन ने मिलकर एक वैज्ञानिक संघ बनाया। नाम दिया गया टीलोमर टू टीलोमर (टी2टी)।
वैज्ञानिकों के आगे की राह होगी कि, अब इन जीवों में विविधता के पैटर्न का पता लगाया जा सके। टी2टी संघ के वैज्ञानिकों के अनुसार- “मानवीय विविधता को दर्शाते हुए 350 से ज्यादा लोगों के डीएनए टेम्पलेट बनाना उनका अगला कदम होगा।”
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