ूराज एक्सप्रेस। काफी समय से कर्ज के बोझ और विवादों में घिरी अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस कैपिटल की मुश्किलें एक बार बहुत अधिक बढ़ गई हैं। क्योंकि, प्राइवेट सेक्टर की वित्तीय संस्था HDFC लिमिटेड और एक्सिस बैंक ने रिलायंस कैपिटल को टर्म लोन की किश्तें चुकाने में नाकामयाब रहने के चलते डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। इस बारे में जानकारी सामने कंपनी द्वारा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को दी गई सूचना से सामने आई है।
रिलायंस कैपिटल डिफॉल्टर घोषित :
दरअसल, अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस कैपिटल ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को जानकारी देते हुए बताया है कि, '31 अक्टूबर, 2020 तक वह HDFC लिमिटेड के 4.77 करोड़ रुपये के ब्याज भुगतान और एक्सिस बैंक के 71 लाख रुपये के ब्याज भुगतान करने में असफल रही है। इसलिए दोनों वित्तीय संस्थानों की तरफ से ऐसा कदम उठाया गया है। हालांकि कंपनी ने यह भी बताया है कि, रिलायंस कैपिटल की तरफ से HDFC लिमिटेड और एक्सिस बैंक दोनों से देनदारों की मूलधन राशि का भुगतान किया जा चुका है। कंपनी ब्याज देने में असफल रही है।
कंपनी ने पेश की सफाई :
रिलायंस कैपिटल कंपनी ने सफाई पेश करते हुए बताया है कि, वह लोन की किश्तें इसलिए नहीं चुका सकी क्योंकि, दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट तथा डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल द्वारा कंपनी पर एसेट बेचने को लेकर रोक लगायी गई है। कंपनी अपने एसेट को बेचकर राशि जुटाने की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पा रही जिसकी वजह से कर्ज चुकाने में देरी हो रही है। दिल्ली हाईकोर्ट, बॉम्बे हाई हाईकोर्ट और डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल द्वारा लगायी गयी रोक की वजह से ऐसा हो रहा है।'
इतनी रकम अभी भी है बकाया :
बताते चलें, अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल के लोन की कुल रकम 31 अक्टूबर, 2020 तक लगभग 20,077 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा कंपनी पर अभी भी HDFC लिमिटेड की लगभग 524 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक की लगभग 101 करोड़ रुपये की रकम बकाया है। यानी रिलायंस कैपिटल को HDFC और एक्सिस बैंक को अभी इस रकम का भुगतान करना पड़ेगा।
चीनी बैंकों द्वारा अनिल अंबानी की प्रॉपर्टी जब्त करने की खबर :
हाल ही में अनिल अंबानी से जुड़ी यह खबर सामने आई थी कि, चीनी बैंकों द्वारा अनिल अंबानी की प्रॉपर्टी जब्त की जा सकती हैं, लेकिन बाद में बैंकों की प्रॉपर्टी जब्त करने की कोशिश नाकाम हो गई है। क्योंकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में चीन के तीनों बैंकों के खिलाफ नोटिस जारी किया था। बता दें, दिल्ली हाईकोर्ट का यह नोटिस उन बैंकों के लिए हैं जिससे उन्होंने उधार लिया था। कोर्ट के नोटिस के बाद अब उल्टा चीनी बैंकों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
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