GST काउंसिल की बैठक के बाद एप से ऑनलाइन खाना आर्डर करना पड़ सकता महंगा Syed Dabeer Hussain - RE
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GST काउंसिल की बैठक के बाद एप से ऑनलाइन खाना आर्डर करना पड़ सकता महंगा

कमेटी द्वारा फूड डिलीवरी एप्स को कम से कम 5% GST के दायरे में लाने की मांग उठाई गई है। यदि ऐसा होता है तो, Swiggy, Zomato जैसी एप्स से खाना आर्डर करना महंगा पड़ सकता है।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) लागू होने के बाद से ही लगातार GST में बदलावों के लिए काउंसिल बैठक की जाती है। इस बैठक में मुख्य भूमिका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की होती है और वो ही बैठक की अध्यक्षता करती है। वहीं, अब शुक्रवार 17 सितंबर, 2021 को GST काउंसिल की 45वीं बैठक का आयोजन किया जाना है। इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। इस बैठक के दौरान कई मामलों पर चर्चा की जाती है और कई बड़े फैसले भी लिए जाते हैं। वहीं, अब होने वाली बैठक को लेकर सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, Swiggy, Zomato आदि से खाना मंगाना महंगा पड़ सकता है।

महंगा पड़ सकता खाना आर्डर करना :

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार दिनांक 17 सितंबर, 2021 को आयोजित होने वाली GST काउंसिल की 45वीं बैठक में चर्चा होने वाले मुद्दों से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट की मानें तो, कोरोना काल के दौरान रेस्तरां खुलने के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोगों ने बाहर रेस्तरां में जाकर खाना खाने की तुलना में खाना ऑर्डर करके घर पर मंगवाया है, जिससे अब लोग ज्यादातर ऑनलाइन फूड डिलीवरी एप्स का इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे में अब GST काउंसिल ऑनलाइन फूड डिलीवरी को महंगा करने का मन बना रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, कमेटी द्वारा फूड डिलीवरी एप्स को कम से कम 5% GST के दायरे में लाने की मांग उठाई गई है। यदि ऐसा होता है तो, Swiggy, Zomato जैसी एप्स से खाना आर्डर करना महंगा पड़ सकता है।

फिटमेंट पैनल की मांग :

बताते चलें, साल 2019-20 और 2020-21 के दौरान GST में दो हजार करोड़ रूपये का घाटा होने का अनुमान लगाते हुए, फिटमेंट पैनल ने मांग उठाई है कि, 'फूड एग्रीगेटर्स को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से GST का भुगतान किया जाए।' साथ ही एक या एक से अधिक पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को भी GST के दायरे में लाने को लेकर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा कई रेस्तरां द्वारा GST का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है, जबकि वह कुछ पंजीकृत भी नहीं हैं। रेट फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि, यह बदलाव एक जनवरी 2022 से प्रभावी हो सकता है।

GST काउंसिल में उतहया जगा मुद्दा :

बता दें, पिछले दिनों केरल हाईकोर्ट ने पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाए जाने के निर्देश दिए थे। वहीं, अब इस मामले को GST काउंसिल के सामने रखा जाएगा। गौरतलब है कि, कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लगाई जा रही आशंकाओं के बीच GST परिषद की 45वीं बैठक काफी अहम हो सकती है। क्योंकि, इस बैठक में कोरोना से संबंधित आवश्यक सामान पर भी रियायत दी जा सकती है। साथ राज्यों को राजस्व में हुए नुकसान के मुआवजे पर भी चर्चा हो सकती है।

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