2.4% drop in production levels in September compared to August.  Raj Express
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विकास की उलटबांसीः मार्च के बाद सितंबर माह में सबसे कम रहा इंफ्रा व निर्माण वस्तुओं का उत्पादन

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • सितंबर में फ़ैक्टरी उत्पादन वृद्धि दर तीन माह में सबसे धीमी रही।

  • सितंबर में 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से नौ में देखने में आई गिरावट।

  • देश के विनिर्माण सेक्टर ने गिरावट का नेतृत्व किया।

राज एक्सप्रेस। सितंबर माह में, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक या आईआईपी 5.8% बढ़ गया, जो अगस्त में 14 महीने की उच्चतम 10.3% वृद्धि का आधा था। जबकि, अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञों ने सितंबर माह में 7% से 8% की वृद्धि का अनुमान लगाया था। सितंबर में फ़ैक्टरी उत्पादन वृद्धि दर तीन माह में सबसे धीमी रही। अगस्त की तुलना में उत्पादन स्तर में 2.4% की गिरावट देखने को मिली है। विनिर्माण सेक्टर ने इस गिरावट का नेतृत्व किया। साल-दर-साल वृद्धि अगस्त में 9.3% से घटकर सितंबर में 4.5% हो गई और उत्पादन मात्रा में महीने-दर-महीने 2% की गिरावट दर्ज की गई।

विनिर्माण सेक्टर में गिरावट

अगस्त माह में, 23 विनिर्माण क्षेत्रों में से केवल सात में गिरावट देखने में आई थी, लेकिन सितंबर में यह सूची बढ़कर नौ हो गई है। विनिर्माण सेक्टर में फर्नीचर में 20 फीसदी और परिधान उत्पादन में लगभग 18 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। निराशाजनक बात यह है कि सितंबर माह में 12 क्षेत्रों के उत्पादन में क्रमशः गिरावट देखने को मिली है। इन नतीजों के बाद यह उम्मीद घट गई है कि कंपनियां त्योहारी खर्च बढ़ने की प्रत्याशा में अपनी इन्वेंट्री बढ़ाएंगी। इस सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि उपभोक्ताओं का उत्पादकों के प्रति भरोसा कमजोर हुआ है।

उत्पादकों के प्रति भरोसा टूटा

उपभोक्ताओं में उत्पादकों के प्रति भरोसे में कमी के संकेत उपभोक्ता ड्यूरेबल्स और नान-ड्यूरेबल्स में साफ देखे जा सकते हैं। जो सितंबर माह में 5.5% से अधिक संकुचन के शीर्ष पर क्रमशः 1% और 2.7% थी। उपभोक्ता नान ड्यूरेबल्स, जिसे मोटे तौर पर तेजी से आगे बढ़ने वाली उपभोक्ता वस्तुओं के रूप में परिभाषित किया जाता है, नवंबर 2022 के बाद से सबसे निचले उत्पादन स्तर के साथ 3.5% से नीचे जा पहुंचे थे। उपभोक्ता नान ड्यूरेबल्स, जिसे तेजी से आगे बढ़ने वाली उपभोक्ता सामग्री के रूप में देखा जाता है, नवंबर 2022 के बाद सबसे कम उत्पादन स्तर के साथ 3.5 फीसदी नीचे थे।

बिजली उत्पादन में भी गिरावट

इस दौरान बिजली का उत्पादन सितंबर में क्रमिक रूप से 6.6 फीसदी गिर गया। शायद इस गिरावट की वजह अगस्त में होने वाली बरसात रही है। कुल मिलाकर, सितंबर का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक या आईआईपी साल की दूसरी तिमाही में औसत कारखाना उत्पादन वृद्धि को 7.4% तक ले गई, जो 2023-24 की पहली छमाही में बढ़कर 6% हो गई है। यह देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख शक्तिकांत दास की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के उनके आधिकारिक अनुमान 6.5% से अधिक होने की उम्मीद के निकट बैठती है।

अर्थव्यवस्था में विषमता का संकेत

एक बात तय है कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक या आईआईपी देश की अर्थव्यवस्था में विषमता का संकेत देता है और आगे की राह में कई बाधाएं संकट के रूप में मौजूद हैं। उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन सितंबर माह में पूर्व-कोविड​​​​-19 स्तर की तुलना में केवल 0.3% अधिक ररहा है। इस साल दबाव में दिखने वाले कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में एकमात्र उपयोग-आधारित सेगमेंट है, जिसमें दबाव दिखाई दिया है। इसके विपरीत, इस साल बुनियादी ढांचे-निर्माण वस्तुओं और पूंजीगत वस्तुओं जैसे निवेश से जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन क्रमशः 12.1% और 6.7% से अधिक लचीला दिखाई दिया है। बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर सार्वजनिक पूंजीगत व्यय ने निश्चित रूप से वर्ष की पहली छमाही के दौरान स्टील और सीमेंट जैसी वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा दिया है, जबकि उच्च महंगाई दरने अधिक आय वाले उपभोक्ताओं की खर्च की प्रवृत्ति को छोड़कर बाकी सभी संभावनाओं को खत्म कर दिया है।

विकास में अभी और मोड़-घुमाव बाकी

बुनियादी ढांचा क्षेत्रों पर सार्वजनिक पूंजीगत व्यय ने निश्चित रूप से वर्ष की पहली छमाही के दौरान स्टील और सीमेंट जैसी वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा दिया है। लेकिन, उच्च महंगाई दर ने अधिक आय वाले उपभोक्ताओं की खर्च करने की प्रवृत्ति को छोड़कर बाकी सभी चीजों को प्रभावित किया है। इस साल जो पूंजीगत खर्च सामने आया है, वह कम हो सकता है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अतिरिक्त राजस्व खर्च की संभावना है। इस वजह से ईंधन, यूरिया और खाद्य वस्तुओं जैसी संवेदनशील वस्तुओं की कीमतों को अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है। सितंबर में इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण वस्तुओं का उत्पादन मार्च 2023 के बाद सबसे कम रहा है। यह बताता है कि विकास क्रम कमजोर पड़़ रहा है, और उपभोग की कहानी में अभी और मोड़-घुमाव आने बाकी हैं।

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