राज एक्सप्रेस। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि Crypto के नियमन के लिए वैश्विक सहमति जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि भारत इस पर कोई कदम उठाए, एक वैश्विक टेम्पलेट बनाना पड़ सकता है और सभी को इस पर मिलकर काम करना होगा। अन्यथा इसे विनियमित करना प्रभावी नहीं होगा। हालांकि मंत्री ने कहा कि इसका मतलब डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करना नहीं है जिसकी अपनी अच्छाई और क्षमता है।
एफएसबी और आईएमएफ की रिपोर्ट पर जुलाई में चर्चा :
सीतारमण ने कहा, उनकी (एफएसबी) रिपोर्ट और आईएमएफ की रिपोर्ट पर जुलाई में चर्चा होगी, जब वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर जी-20 के तहत बैठक करेंगे और उसके बाद सितंबर में जी-20 देशों के प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों का शिखर सम्मेलन होगा जो भारत में होगा। मंत्री यहां थिंकर्स फोरम, कर्नाटक के साथ बातचीत के दौरान डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी के नियमन के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थीं।
वित्तीय स्थिरता पर एफएसबी रिपोर्ट देने पर सहमत :
उन्होंने कहा, जी-20 की अध्यक्षता भारत कर रहा है, यह भारत का प्रस्ताव था और इसे साथ लिया गया है। मुझे खुशी है कि जी-20 ने इसे इस साल के लिए अपने एजेंडे में रखा है। आईएमएफ ने क्रिप्टो करेंसी पर एक पेपर दिया है कि यह किस तरह से मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। जी-20 द्वारा गठित वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) एक रिपोर्ट देने के लिए सहमत हो गया है जो वित्तीय स्थिरता पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।
क्रिप्टो करेंसी टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित :
सीतारमण ने कहा, डिजिटल करेंसी पूरी तरह से डिजिटल और टेक्नोलॉजी से संचालित है। टेक्नोलॉजी बहुत वितरित है और कभी-कभी पहचान स्थापित करना बहुत मुश्किल होता है। हालांकि इसमें क्षमता है इसलिए इस पर सभी देशों को एक साथ आने पर काम करना होगा। उन्होंने कहा, कोई भी देश अकेले टेक्नोलॉजी संचालित क्रिप्टो संपत्ति के मामले में इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित नहीं कर सकता है क्योंकि टेक्नोलॉजी की कोई सीमा नहीं है।
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