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अरविंद सुब्रमण्यम के लिए रहस्यमय हो सकते हैं GDP के आंकड़े, आज हर जगह दिखता है विकास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि बाहरी माहौल में सुधार होने तक भारत को मौजूदा विकास दर से ही संतुष्ट रहना चाहिए।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • भारत ने बहुत मेहनत के परिणाम स्वरूप हासिल की है मौजूदा आर्थिक विकास दर

  • अब स्थिरता को ज्यादा महत्व देना जरूरी, क्योंकि कड़ी मेहनत से हम यहां पहुंचे

  • यहां पहुंचने के बाद हमारे लिए दोहरे अंक की आर्थिक वृद्धि हासिल करना संभव

राज एक्सप्रेस । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि बाहरी माहौल में सुधार होने तक भारत को मौजूदा विकास दर से ही संतुष्ट रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सही दिशा और गति में देश का आर्थिक विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि मेहनत से हासिल आर्थिक स्थिरता की सुरक्षा करना सबसे ज्यादा जरूरी है। एक निजी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सान्याल ने कहा कि अब हमारे लिए दोहरे अंक की वृद्धि हासिल करना संभव है। लेकिन मैं इसके बारे में सावधान रहना पसंद करूंगा। यह पूरा खेल चक्रवृद्धि के बारे में है। भारत की अर्थव्यवस्था 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से बेहतर 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो पिछले डेढ़ साल में सबसे तेज गति है। अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में विकास दर ने चालू वित्त वर्ष के अनुमान को 7.6 प्रतिशत तक ले जाने में सहायक साबित हुई है।

हमें इस वृद्धिमान अर्थव्यवस्था को वर्तमान दर से अधिक बढ़ाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। अब हमें आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर जोर देना चाहिए। संजीव सान्याल ने कहा कि यह स्थिति हमने बहुत मेहनत से हासिल की है। सान्याल ने कहा आप विकास की बहुत ऊंची दर तभी पैदा कर सकते हैं, जब बाहरी वातावरण अनुकूल हो, अन्यथा हम जो कर रहे हैं उससे हमें संतुष्ट होना चाहिए। हमें यह समझ लेना चाहिए कि 7 फीसदी के दायरे में कुछ भी अच्छा है। सान्याल ने कहा विकास के स्थान पर स्थिरता को ज्यादा महत्व देना जरूरी है, क्योंकि हमने यह स्थिति सालों की मेहनत के बाद हासिल की है। और 2023 के अंतिम तीन महीनों में जो 8.4 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की है, वह एक आश्चर्य की तरह है।

उन्होंने कहा कि हमारा अपना पूर्वानुमान 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत का था। और अगर यह 7 प्रतिशत की दर से बढ़ता, तो हम भी हम बहुत खुश होते। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की एक हालिया टिप्पणी कि भारत के नवीनतम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े 'रहस्यमय' हैं और उन्हें समझना मुश्किल है, सान्याल ने कहा ये आंकड़े उनके लिए रहस्यमय हो सकते हैं। उन्होंने कहा भारत के किसी भी बड़े हिस्से में जाइए, आपको विकास अनेक रूपों में दिखाई दे जाएगा। असल बात यह है कि विकास अगर दिखाई दे रहा है तो इन आंकड़ों पर अविश्वास क्यों ? कोई कुछ कहे, लेकिन सच्चाई यही है कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेज गति से विकास कर रही है, हमें इसे देखना चाहिए और इस इस स्थिति पर संतुष्ट होना चाहिए ।

सान्याल ने थॉमस पिकेटी द्वारा हाल ही में लिखे गए एक पेपर, जिसमें कहा गया है कि भारत में असमानता बढ़ गई है, पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि पिकेटी एंड कंपनी ने जो अध्ययन किया है वह पूरी तरह से कचरा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब थॉमस पिकेटी, हार्वर्ड कैनेडी स्कूल एंड वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के लुकास चांसल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के नितिन कुमार भारती ने एक अध्ययन किया है, जिसमें सामने आया है कि भारत में असमानता आसमान छू रही है। 2000 के दशक की शुरुआत से, 2022-23 में शीर्ष एक प्रतिशत आबादी की आय और संपत्ति हिस्सेदारी क्रमशः 22.6 प्रतिशत और 40.1 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

सान्याल ने कहा कि हम दुनिया की आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं। दुनिया के एक तिहाई अरबपतियों को भारत में रहना चाहिए। यह हमारा उचित हिस्सा है। सान्याल ने कहा देश को अपने अरबपतियों का जश्न मनाने की जरूरत है, जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था। सान्याल ने कहा इन अध्ययनों को फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन आदि के द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। परेशानी की बात यह है कि इन पश्चिमी एनजीओज को तब तक कोई समस्या नहीं होती, जब तक कि ये अरबपति श्वेत हैं, दूसरे लोगों को ये बर्दाश्त नहीं कर पाते। अमेरिकी बिल गेट्स और एलन मस्क जैसे अरबपतियों पर जश्न मनाते हैं और उन पर गर्व महसूस करते हैं।

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