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FPI ने नवंबर के पहले 3 कारोबारी सत्रों में शेयर बाजार से की 3,400 करोड़ से अधिक निकासी

एफपीआई का भारतीय शेयर बाजारों से अपना पैसा निकालने का सिलसिला अब तक नहीं रुका है। उनके पैसा निकालने के सिलसिले से बाजार अस्थिर बना हुआ है।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और ब्याज दरों के बीच एफपीआई बड़े पैमाने पर निकासी कर रहे एफपीआई

  • फेडरल रिजर्व के नरम रुख की वजह से बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी का सिलसिला थमा, यह एक अच्छा संकेत

राज एक्सप्रेस। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजारों से अपना पैसा निकालने का सिलसिला अब तक नहीं रुका है। नवंबर के शुरुआती दिनों में भी उनका पैसा निकालने का सिलसिला जारी है। भारतीय संदर्भ में यह बात चिंताजनक है कि पश्चिम-एशिया में बढ़ते तनाव तथा बढ़ती ब्याज दरों के बीच एफपीआई ने नवंबर के पहले तीन कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से 3,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।

इससे पहले, एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजारों से 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये की निकासी की थी। एफपीआई का बिकवाली का सिलसिला, संभव है अगले दिनों में थम जाए, क्योंकि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के नरम रुख की वजह से बॉन्ड यील्ड में वृद्धि का सिलसिला थमा है।

एफपीआई पिछले छह महीने मार्च से अगस्त के दौरान लगातार शुद्ध लिवाल रहे थे। इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों में 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन इसके बाद उन्होंने जो निकासी का सिलसिला शुरू किया, उसने शेयर बाजार में अनेक कठिनाइयां पैदा कर दी हैं। हाल ही में फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल की नरम टिप्पणी के बाद बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी का क्रम कुछ सीमा तक पलटता दिखाई दे रहा है। इसका एक सकारात्मक असर यह रहा है कि बाजार में उनकी इस टिप्पणी को ब्याज दरों में वृद्धि के सिलसिले पर रोक के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

एफपीआई ने एक से तीन नवंबर के दौरान 3,412 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार सितंबर की शुरुआत से एफपीआई लगातार बिकवाल बने हुए हैं। इजराइल-हमास संघर्ष और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में वृद्धि की वजह से एफपीआई बिकवाल रहे हैं। अब अगर बांड यील्ट स्थिर रहे और मध्यपूर्व संकट किसी दीर्घकालिक समाधान की ओर बढ़े तो एफपीआई के रूख में बदलाव आ सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा परिदृश्य में एफपीआई निवेश के अधिक सुरक्षित विकल्प सोने और अमेरिकी डॉलर की ओर रुख कर सकते हैं। आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 1,984 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले अक्टूबर में एफपीआई ने बॉन्ड बाजार में 6,381 करोड़ रुपये लगाए थे। इस तरह चालू साल में शेयरों में एफपीआई का निवेश अबतक 92,560 करोड़ रुपये रहा है। जबकि, बॉन्ड बाजार में उनका निवेश 34,485 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।

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