She Jin Ping Raj Express
व्यापार

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी से विदेशी निवेशकों का मोहभंग, पैसा निकालने की होड़ शुरू

चीन के आर्थिक हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। विदेशी निवेशकों और कंपनियां लगातार चीन से अपना कारोबार समेटने का प्रयास कर रहे हैं।

Aniruddh pratap singh

हाइलाइट्स

  • चीन से बोरिया-बिस्तर समेट रहे विदेशी निवेशक

  • 25 साल में पहली बार एफडीआई गेज माइनस आया

  • कारोबारी जंग में अमेरिका के आगे कमजोर पड़ा चीन

राज एक्सप्रेस। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले चीन के आर्थिक हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं। चीन सरकार ने विदेशी निवेशकों और कंपनियों का भरोसा जीतने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। स्थिति यह है कि विदेशी निवेशक बहुत तेजी से चीन से पैसा निकाल रहे हैं। तमाम प्रयासों के बाद भी चीन इस सिलसिले को रोक पाने में सफल नहीं हो रहा है। इसकी वजह से 25 सालों में पहली बार देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई गेज माइनस में चला गया है।

चीन से निकलने का प्रयास कर रही विदेशी कंपनियां

ज्ञात हो कि एफडीआई गेज एफडीआई मापने का पैमाना है, जिसने 1998 के बाद पहली बार नकारात्मक राह पकड़ी है। आंकड़ों के अनुसार तीसरी तिमाही में डायरेक्ट इनवेस्टमेंट लायबिलिटीज माइनस 11.8 अरब डॉलर रही है, जो पिछले साल के इसी समय में 14.1 अरब डॉलर रही थी। इन आंकड़ों से स्पष्ट हो जाता है कि विदेशी कंपनियां चीन में निवेश बढ़ाने की वजह धीरे-धीरे अपना पैसा निकालने का प्रयास कर रही हैं। स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज (एसएएफई) के आंकड़ों में यह बात सामने आई है।

चीन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में दर्ज की गई गिरावट

डायरेक्ट इनवेस्टमेंट लायबिलिटीज में विदेशी कंपनियों के ऐसे प्रॉफिट को भी शामिल किया जाता है, जिसे अब तक विदेश नहीं भेजा गया है या शेयरहोल्डर्स के बीच वितरित नहीं किया गया है। चीन में एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेश निवेश की स्थिति बताने वाले पैमाने में भी साल के पहले नौ महीने में 8.4 फीसदी की गिरावट आई है। पहले आठ महीने में यह 5.1 फीसदी थी। चीन परेशान इस लिए है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

चीन-अमेरिका के बीच आगे निकलने की जंग

चीन और अमेरिका के बीच लंबे समय से एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ जारी है। इस जबर्दस्त प्रतिद्वंद्विता की वजह से विदेशी निवेशक और कंपनियां घबराई हुई हैं। यही वजह है वे चीन से अपना पैसा निकालने में लगी हुई हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी वैनगार्ड ने भी चीन से बोरिया बिस्तर समेट लिया है। वैनगार्ड ने चीन में अपने जॉइंट वेंचर की हिस्सेदारी बेचने के बाद बताया कि वह दिसंबर तक शंघाई में अपना कार्यालय बंद कर देगी।

नाकाम रहे अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रयास

स्थिति यह है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के चीन सरकार के प्रयास अब तक नाकाम साबित हुए हैं। पिछले माह सरकार ने 137 अरब डॉलर का सॉवरेन बॉन्ड मंजूर किया था। जिसका प्रयोग मुख्य रूप से ढ़ांचागत परियोजनाओं को धन उपलब्ध कराने के लिए करने की योजना है। चीन सरकार ने सितंबर माह में बीजिंग और शंघाई में कैपिटल कंट्रोल की सीमा में ढ़ील देने की घोषणा की, ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। चीन के प्रमुख बैंक ने भी विदेशी निवेशकों की आशंकाओं को दूर करने के लिए कई प्रमुख पश्चिमी कंपनियों से बातचीत शुरू की है। इन उपायों के बाद भी विदेशी कंपनियां चीन में रुकने की मनःस्थिति में नहीं हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT