राज एक्सप्रेस। देश में जमा होने वाले विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार के जमा आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सालभर जारी करता आया है। इस सालभर में इन आंकड़ों में ज्यादातर गिरावट का ही दौर छाया रहा। हालांकि, बीच-बीच में कई बार इनमें बढ़त भी दर्ज हुई, लेकिन ज्यादातर गिरावट ही रही। वहीँ, पिछले साल के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और स्वर्ण भंडार में बढ़त दर्ज हुई थी। इस बार RBI द्वारा जारी हुए आंकड़ो के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और स्वर्ण भंडार में बढ़त दर्ज हुई है।
RBI के ताजा आंकड़े :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 जनवरी 2023 को समाप्त सप्ताह में 1.268 अरब डॉलर घटकर 561.583 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, पिछले साल के आखिरी समाप्त सप्ताह यानी 23 दिसंबर 2022 को समाप्त सप्ताह में 69.1 करोड़ डॉलर घटकर 562.808 अरब डॉलर पर था। उससे पिछले समाप्त सप्ताह में यह 57.1 अरब डॉलर घटकर 563.499 अरब डॉलर पर था। पिछले साल के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांच सप्ताह बढ़त और लगातार दो सप्ताह गिरावट के बाद बढ़त दर्ज हुई थी।गिरावट का हाल अब एक बार फिर देखने को मिला है। जबकि, साल 2022 की शुरुआत में देश का कुल मुद्रा भंडार 633 अरब डॉलर था।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में लगातर गिरावट दर्ज होने के बाद पिछले साल के अंत में बढ़त दर्ज हुई थी। वहीं, अब इस साल के पहले सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 461 करोड़ डॉलर से बढ़कर 41.784 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन जब FCA में बढ़त दर्ज होती है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त होती है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार FCA और SDR :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज होती है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) इस साल के पहले समाप्त सप्ताह में 1.747 अरब डॉलर घटकर 496.441 अरब डॉलर रह गई है। आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) 3.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.217 अरब डॉलर हो गया। जबकि, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में रखा देश का मुद्रा भंडार 1.8 करोड़ डॉलर घटकर 5.141 अरब डॉलर रह गया।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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