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सालाना लक्ष्य का 39.3 फीसदी रहा साल की पहली छमाही में राजकोषीय घाटा, सीजीए के आंकड़ों से हुआ खुलासा

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • केंद्र के कुल व्यय और कुल राजस्व आय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं।

  • राजकोषीय घाटा एक साल पहले के 37.3 प्रतिशत के मुकाबले इस बार थोड़ा अधिक है।

  • वित्तवर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का केवल 6.4 प्रतिशत था।

राज एक्सप्रेस। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पूरे साल के लक्ष्य का 39.3 प्रतिशत रहा है। ज्ञात हो कि कुल व्यय और कुल राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं। केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

उल्लेखनीय है कि राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य का 39.3 प्रतिशत पर पहुंचने का मतलब है कि यह एक साल पहले की अवधि के 37.3 प्रतिशत के मुकाबले थोड़ा अधिक है। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर 2023 के अंत में राजकोषीय घाटा 7.02 लाख करोड़ रुपये रहा है। केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत तक लाने का अनुमान लगाया है। इससे पहले 2022-23 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत था, जबकि पहले अनुमान 6.71 प्रतिशत का लगाया गया था।

कर राजस्व 11.60 लाख करोड़ रुपये रहा है जो वार्षिक लक्ष्य का 49.8 प्रतिशत रहा है। पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान शुद्ध कर संग्रह उस वर्ष के वार्षिक बजट अनुमान का 52.3 प्रतिशत था। केंद्र का कुल व्यय 21.19 लाख करोड़ रुपये या 2023-24 के बजट अनुमान का 47.1 प्रतिशत था, जो 2022-23 के बजट अनुमान के 46.2 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। कोर सेक्टर में कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, खाद, स्टील, सीमेंट व बिजली जैसे आठ प्रमुख क्षेत्र आते हैं। इस साल अगस्त में कोर सेक्टर में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 12.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, तो इस साल के जून व जुलाई में कोर सेक्टर में क्रमश: 8.4 व 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

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