राज एक्सप्रेस। अब कोरोना वायरस (Covid-19) का बुरा असर संसद में लिए जाने वाले फैसलों पर भी पड़ता नजर आ रहा है। दरअसल कोरोना के चलते दोनों सदनों से वित्त विधेयक के पारित होने के बाद आज इस इस बजट सत्र का समापन हो सकता है। संसद में आज वित्त विधेयक 2020 (Finance Bill 2020) को दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा से पास कर दिया गया। हैरानी की बात यह थी कि, यह विधेयक बिना किसी बहस के पास हुआ है। आज पास हुए इस बिल के चलते सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर finance bill 2020 ट्रेंड करता नजर आया।
कई पार्टियों ने किया मना :
इस संसद सत्र में समाजवादी पार्टी, TMC ने कोरोना के चलते न शामिल होने की घोषणा की। इसी के साथ कुछ ही देर में यहीं घोषणा शिवसेना ने भी की। बताते चलें कि, इस सदन के पहले सत्र का समापन पहले तीन अप्रैल को होने वाला था, लेकिन Covid-19 को देखते हुए जो हालत बने हैं उन संभावनाओं में इसे आज यानि 23 मार्च को ही समाप्त (अनिश्चितकाल) करने का फैसला लिया गया है। लोकसभा और राज्यसभा के इस सत्र को आज ही खत्म करने का फैसला सर्वदलीय बैठक होने के बाद लिया गया।
लोकसभा में पेश किया जाता है :
नियमों के अनुसार, बजट पेश करने के बाद फाइनेंस बिल को लोकसभा में सबके समक्ष पेश किया जाता है। जिसमें विधेयक में बजट में प्रस्तावित टेक्सों से जुड़ी पूरी जानकारी मौजूद रहती है। विधेयक को लागू करने, हटाने, घटाने, बढ़ाने या नियमों में होने वाले अन्य बदलावों से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी इस विधेयक में विस्तार से मौजूद होती है। इस सत्र में विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसका फैसला अंतिम रूप से सदन का स्पीकर करता है। इसके अलावा सदन में जितने भी धन विधेयक सटे है उन सभी का समर्थन किया जाता है। जब अनुच्छेद 109 के तहत राज्यों के परिषद में प्रेषित किया जाता है। इसके बाद इस धन विधयक को सहमति के लिए अनुच्छेद को 111 के अंतर्गत राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
नोट : बता दें कि, सदन के स्पीकर के हस्ताक्षर करा हुआ प्रमाण पत्र 'धन विधेयक' (Finance Bill ) कहलाता है।
बजट सत्र के कुछ मुख्य बिंदु :
विधानसभा में बजट सत्र में कुल 21 बैठकें आयोजित होनी थीं।
अब तक विधानसभा में बजट सत्र में 13 बैठक आयोजित हो चुकी हैं।
सोमवार को बजट सत्र की 14वीं बैठक के दौरान सत्र को 14वीं बैठक में ही खत्म करने का फैसला लिया गया।
बजट सत्र की बैठकों में एक गैर सरकारी सदस्य दिवस के अलावा छह शासकीय व विधायी कार्यों के लिए निर्धारित हैं।
कैलेंडर ईयर के हिसाब से सदन की कुल 35 बैठक होना जरूरी हैं।
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