हाइलाइट्स –
सस्ते सोने पर सवाल!
महंगे मोबाइल के मायने
ऑनलाइन स्टडी का है प्राण
राज एक्सप्रेस। बजट से पहले कीमती धातुओं के सस्ता होने के संकेत मिलने लगे थे! बजट में मोबाइल महंगा करने से एक बात साफ है कि ट्रैक पर लौटती ऑनलाइन स्टडी में खलल पड़ सकता है।
सोना कितना सोना है –
24 घंटे सोने की ट्रेडिंग वाले मार्केट में भारत के केंद्रीय बजट के पहले से ही सुस्ती देखी जाने लगी थी। जैसे के संकेत थे उस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुहर भी लगा दी।
दरअसल कोरोना संकट काल में उपभोक्ता की क्रय क्षमता में कमी आई है इस कारण भी प्रीसियस मेटल मार्केट ऊँचाई-नीचाई का रुख देख रहा है।
महंगे मोबाइल के मायने –
निश्चित ही मोबाइल मंहगा होने से मोबाइल कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा मिलने वाला है। यह दावा इसलिए क्योंकि नोवल कोरोना डिजीज के कारण दुनिया भर में मोबाइल और इंटरनेट ही वो साधन थे जिन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के दौरान लोगों के बीच संपर्क सेतु का काम किया।
सोना बनाम मोबाइल –
मौजूदा दौर में मोबाइल की डिमांड (दाम नहीं) की तुलना में सोना कमजोर है। क्रय क्षमता प्रभावित होने से आम मध्यमवर्गीय सिर्फ शौक पूरा करने इसकी खरीद से लगभग दूर है। बात करें मोबाइल की तो इसकी जरूरत कोरोना लॉकडाउन में सबसे ज्यादा बढ़ी है।
स्टडी विद् एंटरटेनमेंट –
भारत में लॉकडाउन के दौरान मोबाइल ने ही लोगों को घरों में सीमित रखने में मदद की। न केवल पर्याप्त मनोरंजन किया बल्कि पढ़ाई प्रभावित हुई तो स्टूडेंट्स को एजुकेशन सेंटर्स से भी जोड़ा।
परीक्षा में स्टूडेंट्स का साल प्रभावित होने से बचाने में मोबाइल की ही भूमिका अहम रही। अभी कोरोना का खतरा कम होने की संभावना के बीच शिक्षा जगत जब वापसी कर रहा है उसमें भी मोबाइल की अहमियत को समझा जा सकता है।
अहमियत मोबाइल की -
दरअसल कोरोना के कम खतरे के बीच तमाम प्रदेशों में ऑनलाइन एवं भौतिक परीक्षाओं का दौर शुरू है या फिर होने वाला है।
इस बीच दिल्ली में किसान बिल को लेकर मची गदर के बीच एक बड़ी कंपनी के टॉवर ध्वस्त होने से ठप्प हुई इंटरनेट सेवा के कारण फिर से एग्जाम प्रभावित हो गए! कहा जा रहा है बजट पेशकश प्रभावित न हो इसलिए रात में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गईं!
मौके पर चौका –
स्कूल से लेकर कॉलेजों तक के बस्तों का अहम हिस्सा बन चुकी मोबाइल जैसी अनिवार्य जरूरत से इसकी मांग को समझा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि केजी से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक की तैयारी में मोबाइल ने एंट्री मार ली है। कहा जा सकता है मोबाइल की बढ़ी मांग का लाभ कंपनी को दिलाने सरकार ने मौके पर चौका मारा है।
विलासिता या विद्या –
भारत में विलासिता से ज्यादा अध्ययन-मनन पर जोर दिया जाता है। अब या तो बजट में इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया गया या फिर जानबूझ कर ऐसा किया गया? यह एक यक्ष प्रश्न है!
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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