भारत के राज्यों में कोयले की कमी से गहरा रहा बिजली संकट। - सांकेतिक तस्वीर Neelesh Singh Thakur – RE
ऊर्जा

COVID-19 ग्रसित अर्थव्यवस्था के सामने अब बिजली संकट, गैर BJP राज्यों में कोयला किल्लत

मुख्यमंत्रियों ने कोयला आपूर्ति सुचारू रखने केंद्र सरकार से संपर्क साधा है। राजस्थान, कर्नाटक व पंजाब में कोयले की कमी से पावर कट लागू।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • एमपी में स्थिति ठीक नहीं

  • यूपी में बिजली उत्पादक 8 यूनिट बंद

  • भारतीय अर्थव्यवस्था अब नए संकट में

  • दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मांगा केंद्र से कोयला

राज एक्सप्रेस (Raj Express)। कोविड-19 (COVID-19) से प्रभावित देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सामने बिजली संकट (Power Crisis) गहरा रहा है। इस संकट के शुरुआती असर जहां चीन में दिखने लगे हैं वहीं भारत में भी बिजली संकट गहराने के संकेत मिल रहे हैं।

गैर भारतीय जनता पार्टी शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने कोयला आपूर्ति सुचारू रखने के लिए केंद्र सरकार से संपर्क साधा है। राजस्थान, कर्नाटक व पंजाब में कोयले की कमी से पावर कट लागू कर दिए गए हैं।

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मध्य प्रदेश भी संकट की राह पर –

मध्य प्रदेश इस मामले में कुछ बेहतर स्थिति में बताया जा रहा है। एमपी के पावर प्लांट्स में से एक खंडवा में सिर्फ 2 दिन का कोयला स्टॉक बाकी है। यह तब की स्थिति है जब प्लांट अपने पूरे लोड पर नहीं चल रहा है।

मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के एमडी मंजीत सिंह ने भी स्थिति संकट में होना बताकर बिजली बचाने कहा है। एमडी सिंह ने बताया कि बिजली संयंत्रों में कोयला संकट पैदा न हो इसके लिए हर स्तर पर युद्ध स्तरीय प्रयास जारी हैं।

स्थिति से निपटने राष्ट्रीय स्तर पर सप्ताह में 2 विभागीय बैठक हो रही है। मुद्दे की गंभीरता इसलिए समझी जा सकती है क्योंकि पहले यह बैठकें साल में एक बार ही होते देखी गई हैं।

रोजाना आवश्यक कोयला –

कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों में एक आदर्श अनुमान से रोजाना 15 रैक कोयला आवश्यक होता है। विभागीय जानकारी के अनुसार कोयला की कमी के कारण इन संयंत्रों को कोयला की 10 से 11 रैक ही मिल पा रही है।

मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों में कोयले की उपलब्धता के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। सभी स्त्रोतों से कोयला लेने की कोशिश हो रही है। कोल इंडिया व रेलवे से कोयले की सतत सप्लाई के लिए बात की जा रही है। हमारी स्थिति सामान्य नहीं है, लेकिन अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्य प्रदेश बेहतर स्थिति में है। राजस्थान, कर्नाटक व पंजाब में कोयले की कमी से पावर कट लागू कर दिए गए हैं। कोयले की उपलब्धता के लिए ऐसे अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैं, जो इसके पूर्व कभी नहीं किए गए।
मनजीत सिंह, एमडी, मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी

यूपी में आठ यूनिट बंद -

कोयले की कमी से उत्तर प्रदेश में भी खलबली मची है। यूपी में बिजली बनाने की आठ यूनिट बंद की गई हैं। बिजली की कटौती का असर पूर्व और मध्यांचल में दिखने लगा है।

मांग-आपूर्ति इतनी -

उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावॉट के मध्य है। यहां बिजली की आपूर्ति महज 17,000 मेगावॉट बताई जा रही है। पावर कॉरपोरेशन के मुताबिक 15 अक्टूबर तक कोयला आपूर्ति में सुधार संभावित नहीं है।

उमस/गर्मी भी एक कारण -

यूपी में तेज गर्मी के साथ बढ़ी उमस के कारण भी बिजली की मांग में इजाफा हुआ है। यूपी के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बिजली की कटौती हो रही है। ग्रामीण इलाकों में 4 से 5 घंटे की घोषित जबकि शहर में अघोषित रूप से बिजली कटौती कर बिजली आपूर्ति सुचारू रखने की कोशिश की जा रही है। हालात जल्द न सुधरे तो शहरों में भी घोषित बिजली कटौती का दौर शुरू हो सकता है।

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प्रति यूनिट दाम का करंट -

यूपी में पावर कॉरपोरेशन, एनर्जी एक्सचेंज से 15-20 रुपये प्रति यूनिट में बिजली खरीद रहा है। अधिक कीमत के कारण पावर कॉरपोरेशन की क्रय शक्ति पर असर पड़ रहा है।

आठ प्लांट बंद -

पावर कॉरपोरेशन को बिजली प्रदान करने वाले इस समय 8 पावर प्लांट कोयले की कमी के कारण बंद हैं। इसके अलावा 6 अन्य पावर प्लांट भी तकनीकी वजहों से काम नहीं कर रहे। इनसे पावर कॉरपोरेशन को 2700 मेगावाट बिजली मिलती है।

कोल कंपनियों की प्राथमिकता -

ऐसे में कोल कंपनियों ने भी आपदा में अवसर ढूंढ़ा है। दरअसल कोल कंपनियों ने कोयले की कमी को देखते हुए उन पावर संयंत्रों को प्राथमिकता के आधार पर कोयला आपूर्ति जारी रखने की प्रतिबद्धता दर्शाई है जिनका हिसाब-किताब साफ सुथरा है।

ऐसा इसलिए क्योंकि उत्पादन निगम के कई पावर प्लांट्स का कोयले से जुड़ा भुगतान अभी बकाया है। उत्पादन निगम में कोयला संबंधी भुगतान न होने से पावर प्लांट्स में कोयला संकट उपजने से सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों में कई मिलियन यूनिट्स का उत्पादन नहीं हो पा रहा।

यूपी के पावर प्लांट जो बंद हैं :-

ललितपुर - 2660 मेगावॉट

ललितपुर - 3660 मेगावॉट

रोजा - 2300 मेगावॉट

ऊंचाहार - 6190 मेगावॉट

हरदुआगंज - 9250 मेगावॉट

पारीछा - 4210 मेगावॉट

पारीछा - 5250 मेगावॉट

हरदुआगंज - 7105 मेगावॉट

कोविड-19 (COVID-19) से प्रभावित भारतीय अर्थव्यस्था के लिए कोयला संकट जनित बिजली की कमी की समस्या आर्थिक संकट को और प्रबल कर सकता है। संकट न गहराए इसके लिए सरकार को कोयला आपूर्ति सुचारू करना होगी, जबकि देशवासियों को बिजली के कम से कम उपयोग के प्रति जागरूक होकर बिजली का दुरुपयोग रोकना पड़ेगा।

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