राज एक्सप्रेस । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय अमेरिका प्रवास के दौरान कई बड़े समझौते किए गए हैं। व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में गुरुवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक के बाद कऊ समझौतों पर मुहर लगाई गई। पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान जिन अहम करारों पर डील हुई है, उनमें भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट, रेलवे, तकनीक, ड्रोन, जेट इंजन और स्पेस सेक्टर में करार किए गए हैं। भारत और अमेरिका दोनों के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भी हुआ है। इस दौरान पीएम मोदी ने दिग्गज कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक कर उन्हें भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया है। आइए नजर डालते हैं अमेरिका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने साथ क्या-क्या सौगात लाने वाले हैं।
गुजरात में लगेगा सेमीकंडक्टर प्लांट
अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रॉन गुजरात में अपना प्लांट लगाएगी। इसके तहत कंपनी की ओर से 2.7 अरब डॉलर का निवेश करेगी। पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के बीच ये खबर सामने आई है। मंत्रिमंडल ने एक नए सेमीकंडक्टर टेस्टिंग एंड पैकेजिंग यूनिट के लिए माइक्रॉन को भारत में इन्वेस्टमेंट करने की मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस समझौते के तहत अमेरिकी सेमिकंडक्टर कंपनी को 1.34 अरब डॉलर के प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) का भी लाभ मिलेगा।
भारतीय रेलवे ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट/इंडिया (यूएसएआईडी/इंडिया) के साथ ओएमयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा क्लीन एनर्जी और ऊर्जा दक्षता समाधानों पर USAID/भारत के साथ सहयोग की परिकल्पना की गई है। वहीं मिशन नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए भारतीय रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने का प्रयास किया गया है।
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे में जिस सबसे खास समझौतों पर मुहर लगी है। उनमें से एक 'अर्टेमिस एकॉर्ड्स' भी शामिल है। यह समान विचारधारा वाले देशों को नागरिक अंतरिक्ष खोज के मुद्दे पर एक साथ लाता है। नासा और इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा देना होगा। इससे भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के सहयोगी हैं।
भारत में जीई एयरोस्पेस कंपनी का इंजन मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाया जाएगा। इसके बाद फाइटर जेट्स के इंजन भी भारत में ही बनने शुरू हो जाएंगे। इसमें भारत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जीई एयरोस्पेस की मदद करेगी। इस प्लांट में भारतीय वायुसेना के हल्के लड़ाकू विमान तेजस के मेक-2 वैरिएंट के लिए इंजन बनाए जाएंगे। यानी भारतीय वायुसेना सशक्त होगी और उसकी ताकत बढ़ेगी।
एक और बड़े करार की बात करें तो भारत और अमेरिका मिलकर यूएस-इंडिया डिफेंस एक्सीलेरेशन इकोसिस्टम (ईंडस-एक्स) शुरू करने पर सहमत हुए हैं। इस नेटवर्क में दोनों देशों की यूनिवर्सिटी, स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री और थिंक टैंक्स शामिल होंगे। इस समझौते के जरिए संयुक्त रूप से रक्षा टेक्नोलॉजी संबंधी इनोवेशन देखने को मिलेंगे। इसी क्रम में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस स्पेस फोर्स ने भारत के स्टार्टअप्स 114एआई और 3 आरडीआईटेक के साथ समझौता किया है।
भारत और अमेरिका के बीच जटिल तकनीक सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भी हुआ है। इसके साथ ही इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) की शुरुआत भी की गई है। हालांकि इसकी शुरुआत इस साल जनवरी में हो गई थी, लेकिन आधिकारिक घोषणा पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान की गई है।
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद की एक मेगा डील का ऐलान भी किया है। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे।
अमेरिका भारत में बेंगलुरु और अहमदाबाद में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलेगा। इसके साथ ही, भारतीयों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सिएटल में एक मिशन स्थापित किया जाएगा। इस दौरान, राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने 200 से अधिक अमेरिकी निर्मित विमान प्राप्त करने के लिए बोइंग के साथ एयर इंडिया के ऐतिहासिक समझौते का फिर से स्वागत किया। वहीं दोनों देश सुरक्षित और विश्वसनीय दूरसंचार, लचीली आपूर्ति श्रृंखला बनाने और वैश्विक डिजिटल समावेशन को सक्षम करने पर भी एकमत नजर आए।
अमेरिका ने एआई पर वैश्विक साझेदारी के अध्यक्ष के रूप में भारत के नेतृत्व का भी समर्थन किया। दोनों नेताओं ने भारत में 10 अरब डॉलर के भारत डिजिटलीकरण फंड के माध्यम से निवेश जारी रखने की गूगल की पहल की सराहना की। भारत में अपने एआई रिसर्च सेंटर के माध्यम से, गूगल 100 से अधिक भारतीय भाषाओं का समर्थन करने के लिए मॉडल बना रहा है।
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