नई दिल्ली। सरकार ने त्योहारों से पहले जनता को महंगाई से थोड़ी राहत देते हुए आयात शुल्क में भारी कटौती की है। इसके तहत सनफ्लावर तेल, क्रूड सोया तेल, रिफाइंड पाम तेल के आयात पर लगने वाले शुल्क में कमी की गई है। वर्तमान में अधिकतर खाद्य तेलों के दाम पिछले साल के मुकाबले 50 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। खाद्य तेलों की महंगाई से आम और खास दोनों परेशान हैं। यहां तक की सरकार भी खाद्य तेल की महंगाई को लेकर चिंतित हैं।
सूत्रों के अनुसार :
सरकारी सूत्रों की मानें तो कर में कमी का पूरा फायदा यदि ग्राहकों को दिया गया तो निश्चित रूप से फुटकर में प्रति किलो चार से पांच रुपए तक तेलों की कीमतें घटेंगे। ऐसे में महंगाई से जूझ रही जनता को त्योहारी सीजन में राहत जरूर मिलेगी। बेस इंपोर्ट टैक्स में कमी के पीछे सरकार का मकसद किचन में उपयोग होने वाले तेलों के दाम में कमी लाना है। गौरतलब है कि केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को रसोई तेलों की जमाखोरी पर रोक लगाने को लेकर राज्यों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
सरकार द्वारा आयात शुल्क में कटौती से त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। बता दें कि भारत रसोई तेल की मांग का दो-तिहाई हिस्सा आयात करता है और पाम तेल का आयात इंडोनेशिया व मलेशिया से करता है।
क्रूड पाम तेल पर सबसे अधिक 7.5 फीसदी की कटौती
सरकारी अधिसूचना के अनुसार, क्रूड सोया ऑयल, क्रूड सनफ्लावर आयल और क्रूड पाम ऑयल पर लगने वाली बेस इंपोर्ट ड्यूटी घटकर 2.5 फीसदी हो गई है। सरकार ने क्रूड पाम तेल पर बेस आयात शुल्क में सबसे अधिक 7.5 फीसदी कटौती की है। क्रूड सोया ऑयल व सनफ्लावर ऑयल पर 5 फीसदी, रिफाइंड ग्रेड के पाम ऑयल, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर 5 फीसदी बेस आयात शुल्क घटाया है।
इससे पहले सरकार ने क्रूड पाम तेल पर 10 फीसदी और क्रूड सोया ऑयल व सनफ्लावर ऑयल पर 7.5 फीसदी का बेस आयात शुल्क लगा रखा था। रिफाइंड ग्रेड के पाम ऑयल, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर लगने वाला बेस आयात शुल्क 37.5 फीसदी से घटकर 32.5 फीसदी हो गई है। सूत्रों की मानें तो इस साल खाद्य तेलों का आयात पिछले छह सालों के मुकाबले सबसे कम रह सकता है।
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