मई 2022 में नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थोक महंगाई Social Media
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मई 2022 में नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थोक महंगाई

देश में मई 2022 थोक महंगाई दर (WPI) आसमान छूती हुई नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। बता दें इस बात का अंदाजा सामने आए ताजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। पिछले सालों की तरह ही यह साल भी देशवासियों के लिए महंगा ही साबित हो रहा है। क्योंकि, इस साल देश ने कोरोना वायरस के साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग से बने हालात भी देखे है। जिसके चलते साल 2022 के बीते महीने काफी महंगे साबित हुए है। भारत में इस साल कुछ ही महीनों में महंगाई इस कदर बढ़ी है कि, लोग परेशान हो गए। ऐसा ही कुछ हाल भारत मई 2022 का भी रहा। जी हां, देश में मई 2022 थोक महंगाई दर (WPI) आसमान छूती हुई नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। बता दें इस बात का अंदाजा सामने आए ताजा आंकड़ों से लगाया जा सकता है।

नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थोक महंगाई :

दरअसल, जहां एक तरफ तो खुदरा महंगाई के मामले में देश की जनता को राहत मिली है, लेकिन मई 2022 में थोक महंगाई ने जनता को झटका ही दिया है। क्योंकि, मई 2022 के थोक महंगाई दर के आंकड़े सामने आ चुके हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, इस साल भी मई के महीने में महंगाई में बढ़त दर्ज हुई है। इन आंकड़ों के मुताबिक, मई 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर ( WPI based Inflation) 15% दर्ज की गई है। इतना ही नहीं यह बढ़कर और यह 15.88% पर पहुंच गई। जबकि अप्रैल 2022 में यह आंकड़ा 15.08% दर्ज किया गया था। अगर चिंता की बात की जाए तो, वो यह है कि, महंगाई दर अभी भी दहाई के आंकड़ें में ही दर्ज की गई है।

लगातार दोहरे अंकों में दर्ज हुई थोक महंगाई :

थोक महंगाई के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का सबसे बड़ा कारण खाद्य से लेकर जिंसों तक की कीमतों में दर्ज हुई बढ़त है। बता दें कि, इससे पिछले साल की समान अवधि में थोक महंगाई दर 13.11% पर थी। जबकि, थोक मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है। थोक महंगाई का यह नया उच्च स्तर बीते नौ साल में सबसे ज्यादा दर्ज किया जा रहा है। वहीं पुराने आंकड़ों पर नज़र डालें तो, अप्रैल में मुद्रास्फीति का जो डाटा सामने आया था, वह बीते 30 सालों में अप्रैल महीने के दौरान सबसे ज्यादा देखा गया है।

विश्लेषकों का मानना :

विश्लेषकों का मानना है कि, 'मुद्रास्फीति अभी भी अपने चरम पर नहीं है और आने वाले समय में इसमें और भी ज्यादा बढ़त देखने को मिल सकती है।' इसको लेकर रिसर्च फर्म नोमुरा ने भी एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें कहा गया है कि, 'आने वाले महीनों में हेडलाइन मुद्रास्फीति के 8% के स्तर से भी उपर जाने की संभावना है। वैश्विक स्तर पर जिंसों की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं, जबकि उपभोक्ताओं पर लागत का बोझ बढ़ रहा है। इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार ने बढ़ती महंगाई को शांत करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा की थी, जिसके कारण ताजा आंकड़ों में कुछ कमी देखी गई।'

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