राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा फैसला लेते हुए 2000 के नोट को सर्कुलेशन से वापस लेने की घोषणा की है। आरबीआई ने लोगों से 2000 के नोट को 30 सितंबर तक बैंक में जाकर जमा करने या बदलने के लिए कहा है। हालांकि आरबीआई ने 2000 के नोट को अवैध घोषित नहीं किया है। यानि यह नोट अभी भी बाजार में चलते रहेंगे। कोई दुकानदार इन्हें लेने से मना नहीं कर सकता है। तो चलिए जानते हैं उन पांच बड़े कारणों के बारे में, जिसके चलते आरबीआई ने यह फैसला लिया है।
दरअसल साल 2016 में जब नोटबंदी की गई थी, तब 500 और 1000 रूपए के नोट को चलन से बाहर कर दिया था। उस समय तब 500 और 1000 रूपए के नोटों का कुल मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपए था। यह देश में चलने वाले नोटों के कुल मूल्य का 86 प्रतिशत था। ऐसे में बाजार में रूपए की कमी को पूरा करने के लिए तेजी से 2000 के नोट छापे गए थे। लेकिन अब बाजार में दूसरे नोट पर्याप्त मात्रा में हैं।
दरअसल रिजर्व बैंक हर चार-पांच साल में पुराने नोटों को चलन से बाहर करके उसकी जगह नए नोट जारी करता है। हालांकि यह काम इस तरीके से होता है कि आम आदमी को इसका अहसास ही नहीं होता है। रिजर्व बैंक ने साल 2018 से ही 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी थी। 2000 के नोटों का करीब 90 फीसदी हिस्सा साल 2018 से पहले छापा गया था। ऐसे में यह नोट अपनी समय सीमा पूरी कर चुके हैं।
2000 के नोटों को बंद करने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यह चलन से लगभग बाहर ही हो गया है। बाजार में यह नोट बहुत कम देखने को मिलता है। साल 2018 में जहां नोटों के सर्कुलेशन में 2000 के नोटों की हिस्सेदारी 37 फीसदी थी, जो अब महज 10 फीसदी रह गई है।
नोटबंदी के बाद जब 2000 के नोट जारी हुए तभी से यह कहा जा रहा है कि इसका इस्तेमाल काले धन में हो सकता है। वहीं अब भी माना यही जा रहा है कि 2000 के नोटों को लोगों ने कालेधन के रूप में जमा कर लिया है। ऐसे में इस पर रोक लगाने से यह पैसा वापस बाजार में आ जाएगा।
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2000 के नोट जारी होने के बाद से ही इसके नकली नोटों की छपाई भी होने लगी थी। अब इसके चलन से बाहर होने से नकली नोट भी अपने आप समाप्त हो जाएंगे।
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