संयुक्त ऋण से GDP अनुपात चिंतनीय। Syed Dabeer Hussain - RE
अर्थव्यवस्था

राज्यों का ऋण से GDP अनुपात FY-23 लक्ष्य के मुकाबले चिंताजनक : RBI की रिपोर्ट

'राज्य वित्त : 2021-22 के बजट का एक अध्ययन'; में उल्लेख है कि दूसरी COVID-19 लहर के प्रभाव के रूप में, राज्य सरकारों को ऋण स्थिरता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने की आवश्यकता है।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाईलाइट्स

  • राज्यों की ऋण स्थिरता पर चिंता

  • संयुक्त ऋण से GDP अनुपात चिंतनीय

  • RBI की वार्षिक रिपोर्ट में सुधार की सलाह

राज एक्सप्रेस। आरबीआई (RBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्यों का संयुक्त ऋण-से-जीडीपी (GDP) अनुपात मार्च 2022 के अंत तक 31 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है, जो 2022-23 तक 20 प्रतिशत के लक्ष्य से चिंताजनक रूप से अधिक है।

रिज़र्व बैंक के वार्षिक प्रकाशन 'स्टेट फाइनेंसेस : अ स्टडी ऑफ बजट्स ऑफ 2021-22' ('State Finances: A Study of Budgets of 2021-22') यानी 'राज्य वित्त: 2021-22 के बजट का एक अध्ययन'; में उल्लेख है कि दूसरी COVID-19 लहर के प्रभाव के रूप में, राज्य सरकारों को ऋण स्थिरता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने की आवश्यकता है।

लक्ष्य से अधिक - रिपोर्ट के अनुसार FRBM समीक्षा समिति की सिफारिशों के मुताबिक "राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद का संयुक्त ऋण अनुपात जो मार्च 2021 के अंत में 31 प्रतिशत था उसके मार्च 2022 के अंत तक उसी स्तर पर रहने की उम्मीद है। यह 2022 तक हासिल किए जाने वाले 20 प्रतिशत के लक्ष्य से चिंताजनक रूप से अधिक है।”

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वित्त आयोग की उम्मीद - महामारी प्रेरित मंदी को देखते हुए, अपने अनुमानों में, 15वें वित्त आयोग को उम्मीद है कि 2022-23 में ऋण-जीडीपी अनुपात (2020-21, 2021-22 और 2022- 23 में उच्च घाटे को देखते हुए) 33.3 प्रतिशत के शिखर पर होगा, और उसके बाद धीरे-धीरे गिरकर 2025-26 तक 32.5 प्रतिशत तक पहुंचेगा।

सरकारों की मंशा- आरबीआई (RBI) की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021-22 में राज्यों के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी/GDP) का 3.7 प्रतिशत का समेकित सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी/GFD) - एफसी-एक्सवी (15वें वित्त आयोग) द्वारा अनुशंसित 4 प्रतिशत के स्तर से कम है। यह राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में राज्य सरकारों की मंशा को दर्शाता है।

एफसी-एक्सवी की अनुशंसा - रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम अवधि में, राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति में सुधार एफसी-एक्सवी द्वारा अनुशंसित और केंद्र द्वारा निर्दिष्ट बिजली क्षेत्र में सुधारों पर निर्भर होगा।

एफसी-एक्सवी ने किसानों के लिए बिजली सब्सिडी हेतु पारदर्शी और परेशानी मुक्त प्रावधान बनाने, रिसाव रोकने; और बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) की सेहत में सुधार के लिए उनकी तरलता के तनाव को एक स्थायी तरीके से कम करने की अनुशंसा की है।

डिस्कॉम (DISCOMS) को राज्य के बकाया का समय पर भुगतान और बदले में, उनके द्वारा जनरेशन कंपनियों (जेनकोस/ GENCOS) को पेमेंट इस क्षेत्र के वित्तीय स्वास्थ्य की कुंजी है।
आरबीआई की रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली क्षेत्र में सुधार करने से न केवल राज्यों द्वारा जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) के 0.25 प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी की सुविधा होगी, बल्कि DISCOMs के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार के कारण उनकी आकस्मिक देनदारियों में भी कमी आएगी।

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महामारी की चुनौती - रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि; 2020-21 में, महामारी की पहली लहर ने राजस्व में गिरावट और उच्च खर्च की आवश्यकता की गंभीर चुनौती पेश की। साथ ही उल्लेख है कि; राज्यों ने राजस्व की कमी को आंशिक रूप से दूर करने के लिए पेट्रोल, डीजल और शराब पर अपने कर्तव्यों में वृद्धि की।

इसके अलावा स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं पर अधिक खर्च हेतु जगह बनाने के लिए गैर-प्राथमिकता वाले खर्चों को युक्तिसंगत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021-22 की शुरुआत भी कुछ इसी तरह से हुई थी, दूसरी लहर के प्रकोप के साथ।

दूसरी लहर कम गंभीर - रिपोर्ट में दर्ज है कि "हालांकि, राज्य के वित्त पर दूसरी लहर का प्रभाव पहली लहर की तुलना में कम गंभीर होने की संभावना है, क्योंकि इस बार COVID-19 की पहली लहर के दौरान लागू देशव्यापी तालाबंदी के विपरीत कम कड़े और स्थानीय प्रतिबंधों को महसूस किया गया है।"

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डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स और जारी आंकड़ों पर आधारित है। इस में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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