राज एक्सप्रेस। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम करने के लिए लगाये गये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के फलस्वरूप देश में महामंदी आ सकती है। देश की इकोनॉमी के बारे में अध्ययन करने के बाद क्रिसिल ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में इकोनॉमी में 5 प्रतिशत और पहली तिमाही में 25 प्रतिशत की गिरावट भी देखने को मिलेगी।
महाराष्ट्र टाइम्स के अनुसार अपनी रिपोर्ट में क्रिसिल ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जून की पहली तिमाही में इकोनॉमी में 25 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिलेगी। कोरोना की वजह से लागू किये गये लॉकडाउन के कारण बंद पड़े कारोबार के परिणामस्वरूप पहली तिमाही में जीडीपी में बढ़ोत्तरी होना कठिन है और कुल जीडीपी में से 10 प्रतिशत जीडीपी पर हमेशा के लिए पानी फिर जायेगा।
पिछले 69 सालों में देश में कुल चार बार महामंदी आई है। चालू वित्त वर्ष के पहले देश को सन 1958 सन 1966 और सन 1980 में महामंदी का सामना करना पड़ा था। लेकिन पहले आई हुई तीनों मंदी का कारण एक ही था और वह मौसमी बारिश नहीं होने से खेती का हुआ नुकसान था। इन तीनों सालों में भारतीय इकोनॉमी में कृषि सेक्टर का बड़ा योगदान था और बारिश नहीं होने के कारण तीनों सालों में इकोनॉमी धराशायी हो गई थी।
क्रिसिल ने कहा है शायद इस वित्त वर्ष में; अप्रैल 2020 से मार्च 2021द्ध के दौरान कृषि सेक्टर इस महामंदी में संजीवनी का काम करेगा या इकोनॉमी को थोड़ी बहुत राहत देगा। वहीं 25 मार्च से जारी लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधे ठप पड़ गये और अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इस वजह से इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही खराब रहेगी। दूसरी तरफ कोरोना का संक्रमण जारी रहने के चलते राज्यों के सामने लॉकडाउन को और बढ़ाने और अनेकों गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का संकट भी बरकरार है।
इकोनॉमी में आएगी 5 फीसदी की गिरावट: एसएंडपी
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपने फोरकास्ट में कहा है कि देश में फैले कोरोना संक्रमण और उसके प्रतिकूल प्रभाव की वजह से भारत की इकोनॉमी पर बड़ा असर देखने को मिलेगा। वर्तमान वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमी में 5 फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है।
इसके साथ ही एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि देश में कोरोना का असर तीसरी तिमाही में अपने पीक पर होगा। इस स्टेटमेंट में आगे कहा गया है कि कोविड-19 से निपटने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन ने कुछ सेक्टर पर काफी बुरा असर डाला है। यहीं नहीं आगे आनेवाले कुछ वर्षों में भी भारतीय इकोऩॉमी को कोविड-19 के असर से जूझना होगा।
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