Finance Commission Brief : किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए वित्त आयोग (Finance Commission) का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। यदि हम भारत की बात करें तो, भारतीय वित्त आयोग की शुरुआत या करें स्थापना साल 1951 (22/11/1951) में हुई थी और हर पांच साल बाद वित्त आयोग का गठन किया जाता है। हालांकि, राष्ट्रपति आदेश के आधार पर पहले वित्त आयोग का गठन 6 अप्रैल, 1952 हुआ था। अब तक भारत में 15 वित्त आयोग का गठन किया जा चुका है। वहीं, इसी बीच खबर आई है कि, भारत की केन्द्र सरकार इस साल 16वें वित्त आयोग का गठन कर सकती है। चलिए, इससे पहले जान लें कि, आखिर क्या है ये वित्त आयोग और इसका गठन क्यों किया जाता है।
क्या है वित्त आयोग ?
वित्त आयोग भारत में केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सम्बन्धों को पारिभाषित करता है। सरल शब्दों में समझे तो, भारत में वित्त आयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय व्यवस्था को देखता है। इसके अलावा आयोग का कार्य आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के प्रति भारत सरकार को बाध्य करना है। यानि आयोग जो सिफारिश करता है, राज्य सरकार उसी आधार पर केंद्र से प्राप्त धन को राज्य के ही कार्यों में इस्तेमाल करता है। इस धन पर राज्य सरकार का विधिक अधिकार होता है। बता दें, अब तक देश में 15 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है। वित्त आयोग को वर्णन संविधान के अनुच्छेद (आर्टिकल) 270, 273, 275 तथा 280 में हुआ है।
आयोग का महत्त्व :
केंद्र और राज्यों की टैक्ससेशन शक्तियों और व्यय जिम्मेदारियों के बीच असंतुलन को कम करना
भारत के राज्यों में सभी सार्वजनिक सेवाओं का समानकरण करना
वित्त आयोग का कार्य :
राष्ट्रपति को केंद्रीय और राज्य के बीच टैक्स शुद्ध आय के लिए आधार की सिफारिश करना।
राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में वित्त से जुड़ा आय व्यय जाता है।
वित्त आयोग का काम राष्ट्रपति को सिफारिशें करने का है।
राज्य के कोष को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपायों के लिए जरूरी होता है।
वित्त आयोग भुगतान किए जाने की मात्रा को सुझाव देना का काम भी करता है।
वित्त आयोग अपनी सभी सिफारिशें राष्ट्रपति को सौंपता है।
15वां वित्त आयोग :
केन्द्र सरकार द्वारा साल 2015 में 15वें वित्त आयोग का गठन किया गया था। जो भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के नेतृत्व में गठित किया गया था। इस आयोग के तहत केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी का विस्तार और स्थानीय निकायों को और ज्यादा संसाधन देने पर ध्यान दिया गया था। साथ ही सहयोगपूर्ण संघवाद को बढावा देना, वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन, राजकोषीय मजबूती, सार्वजनिक सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की मूल्य नीति आदि के संबंध में सिफारिशें दी हैं।
16वें वित्त आयोग का गठन :
इन दिनों खबर चल रह है कि, भारत सरकार इसी साल के दौरान में 16वें वित्त आयोग के गठन पर विचार कर रही है और जल्द ही यह गठन हो सकता है। इसको लेकर तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। इस मामले से जुडी जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया है कि, '1 अप्रैल 2023 से अगले पांच साल तक के लिए केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे से जुड़े प्रावधान तय करने के लिहाज से 16वें वित्त आयोग के गठन की तैयारियां शुरू हो चुकी है। आयोग के सदस्यों एवं उसके क्रियाकलाप के प्रावधानों को तय करने का काम चल रहा है।'
याद रखने योग्य कुछ बातें :
वित्त आयोग में एक अध्यक्ष होता है। आयोग का अध्यक्ष बनने के लिए किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक मामलो में अनुभव होना जरूरी है।
आयोग के कुल चार सदस्यों होते है, जिन्हे, शपथ दिलाने का काम भारत के राष्ट्रपति करता है। इन सदस्यों को उच्च न्यायालय और न्यायाधीश द्वारा नियुक्ति किया जाता है।
वित्त आयोग के सदस्यों को अर्थशास्त्र का ज्ञान होना जरूरी है।
वित्त आयोग के सदस्यों में से दो सदस्य पूर्ण कालीन सदस्य और दो सदस्य अंशकालीन सदस्य के रूप में होते हैं।
वित्त आयोग हर 5 साल बाद नियुक्त किया जाता है।
15वां वित्त आयोग साल 2017 में गठित किया गया था।
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के टूर पर एन.के. सिंह की नियुक्ति हुई थी।
भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग का गठन साल 1993 से किया जाने लगा है।
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