सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि संभव। Syed Dabeer Hussain - RE
आर्थिक नीति

भारत अपने बजट घाटे के लक्ष्य से आगे निकल सकता है, नजर आया व्यापक बजट अंतर!

भारत अपने बजट घाटे के लक्ष्य से आगे निकल सकता है क्योंकि सरकार खर्च को बढ़ावा देने के साथ ही नियोजित संपत्ति की बिक्री को पूरा करने के लिए संघर्ष करती दिख रही है।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाईलाइट्स

  • सरकारी खर्च बढ़ा

  • नियोजित संपत्ति विक्रय मंद

  • सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि संभव

राज एक्सप्रेस। भारत अपने बजट घाटे के लक्ष्य से आगे निकल सकता है क्योंकि सरकार खर्च को बढ़ावा देने के साथ ही नियोजित संपत्ति की बिक्री को पूरा करने के लिए संघर्ष करती दिख रही है।

मीडिया के नियमों का हवाला देते हुए पहचान उजागर न करने की शर्त पर मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने विषय पर राय रखी है। उनके मुताबिक 31 मार्च 6.8% लक्ष्य के मुकाबले वर्ष में यह अंतर सकल घरेलू उत्पाद के 7% से अधिक हो सकता है। उन्होंने कहा कि कम विनिवेश संग्रह भी उच्च कर संग्रह से लाभ की भरपाई करता है।

सरकार की स्थिति - ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार यदि बाद के दोनों कारक एक साथ मिले होते तो कमी को सकल घरेलू उत्पाद के 6.3% तक सीमित किया जा सकता था। तब से, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने घोषणा की है कि वह गरीब नागरिकों को अगले चार महीनों के लिए मुफ्त खाद्यान्न देने के लिए 7.2 बिलियन डॉलर खर्च करेगी।

साथ ही विशाल परिसंपत्ति बिक्री पर बहुत कम प्रगति हुई है जिसकी योजना बनाई गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विषय पर टिप्पणी के लिए वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता तुरंत उपलब्ध नहीं थे।

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सरकार को उम्मीद - सरकार को मौजूदा सत्र में उर्वरक सब्सिडी (fertiliser subsidy) के लिए 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के नए खर्च, मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम (food grain program) के लिए 1 लाख करोड़ रुपये और एयर इंडिया (Air India) के संचित घाटे के 45,000 करोड़ रुपये के खर्च के लिए संसदीय मंजूरी लेने की उम्मीद है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने चालू वित्त वर्ष (financial year) में अब तक सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री से 9,330 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सरकार का इस साल 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।

हालांकि उल्लेखनीय यह है कि बीमा दिग्गज लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन को बेचने की योजना पर प्रगति हो या तेल शोधन कंपनी भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन के निजीकरण की प्रक्रिया; दोनों में ही मामलों में सरकारी कामकाज धीमा ही रहा।

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डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स और जारी आंकड़ों पर आधारित है। इसमें प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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