नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दर को घटाकर 8.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव उनके मंत्रालय को अभी नहीं मिला है पर ईपीएफ की प्रस्ति दर अब भी बावजूद सुकन्या समृद्धि, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और लोक भविष्य निधि जैसी योजनाओं की तुलना में अच्छी खासी ऊंची है।
वित्तमंत्री सीतारमण ने हालांकि राज्यसभा में विनियोग विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए ईपीएफ पर बचत पर ब्याज दर में कमी पर कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाई गई चिंताओं को स्वीकार किया।
श्रीमती सीतारमण ने कहा, "माननीय (उप-सभापति महोदय) मैं आप के माध्यम से इसे राज्यसभा के रिकॉर्ड में भी रखना चाहती हूं कि सुकन्या समृद्धि योजना में जमा राशि पर ब्याज 7.6 प्रतिशत , वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर 7.4 प्रतिशत, पीपीएफ (लोक भविष्य निधि योजना) पर 7.1 प्रतिशत है।"
इसी तरह उन्होंने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक की 5 से 10 साल की सावधि जमा जैसे पोर्टफोलियो के लिए उच्चतम दर 5.50 प्रतिशत है और इसमें वरिष्ठ नागरिकों को कुछ बढ़ा कर दिया जता है जिससे यह दर 6.3 प्रतिशत तक हो जाती है।
उन्होंने ईपीएफ पर ब्याज में कमी का बचाव करते हुए कहा, सरकार प्रतिभूतियों (जी-सेक)के जरिए स्वयं जो उधार लेती है उसमें उसे औसतन 6.28 ब्याज का भुगतान करना करना होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह फैसला ईपीएफ बोर्ड का है जिसमें श्रमिकों के प्रतिनिधि भी होते हैं और बोर्ड ने समय की वास्तविकताओं को ध्यान में रख कर ही यह फैसला किया होगा। उन्होंने कहा, "ये आज की वास्तविकताएं हैं जिनके परिप्रेक्ष में हमें उन निर्णयों को देखना होगा जिसे ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड ने लिया है।"
उन्होंने कहा कि ईपीएफ की दर में कटौती का निर्णय मंजूरी के लिए अभी वित्त मंत्रालय के पास आना बाकी है लेकिन तथ्य यह है कि ये वही दरें हैं जो आज प्रचलित हैं और इस पर प्रस्तावित दर अब भी बाकी (योजनाओं) की तुलना में अधिक है।
वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ईपीएफओ के केंद्रीय बोर्ड में कर्मचारियों सहित विभिन्न हितधारकों के सदस्य हैं। गौरतलब है कि ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 12 मार्च को गुवाहाटी में अपनी बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए सदस्यों के खातों में ईपीएफ संचय पर 8.10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर जमा करने की सिफारिश की है। यह लगभग चार दशक में इस दर का न्यूनतम स्तर है।
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