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व्यापार

वित्तीय साक्षरता बढ़ने से विदेशी निवेशक नहीं, अब घरेलू निवेशक तय करने लगे हैं बाजार की दिशा

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • वैश्विक उथल-पुथल और अन्य संकटों का अब नहीं दिखता भारतीय बाजार पर असर

  • इसकी मुख्य वजह भारतीय लोगों में लगातार बढ़ रही फाइनेंशियल जागरूकता रही है

  • अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और घरेलू निवेशकों की पैसे कमाने की भूख भी बढ़ी है

राज एक्सप्रेस। वैश्विक स्तर पर भारी उथल-पुथल और अनेक आर्थिक चुनौतियों के बाद भी शेयर बाजार ने एक साल में 10 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया है। यह साफ संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और भारतीय शेयर बाजार अब विदेशी निवेशकों के सहारे नहीं रह गया है। अब घरेलू निवेशक बाजार को आगे-पीछे करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार आ रही मजबूती और घरेलू निवेशकों का बाजार के प्रति बढ़ता रुझान इसकी मुख्य वजह है। यही वजह है जब वैश्विक बाजार में अधिक रिटर्न मिल रहा होता है, तब भी हमारे शेयर बाजार में हरियाली कायम रहती है। यह सामान्य बात नहीं, हमारी अर्थव्यवस्था में आए बड़े बदलाव का साफ संकेत है।

यह कितना बदला हुआ परिदृश्य है कि अमेरिकी बैंकों द्वारा अधिक रिटर्न दिए जाने की घोषणा का भारतीय बाजार मामूली रूप से प्रभावित होता है या अप्रभावित रहता है। पहले ऐसी स्थिति में सेंसेक्स गिर जाता था। शेयर बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय बाजार का प्रदर्शन आगे बेहतर बना रहने वाला है। विश्व बैंक से लेकर सभी अन्य वैश्विक एजेंसियों ने भरोसा जताया है कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के बाजारों में सुस्ती व्याप्त है, लेकिन भारत में कारोबारी गतिविधियां तेजी से जारी हैं।

चीन से विदेशी निवेशक जान बचाकर भागने का प्रयास कर रहे हैं, तो दूसरी ओर भारत कारोबारी गतिविधियों का नया वैश्विक केंद्र बनता जा रहा है। हाल के सालों में सबसे बड़ी बात यह हुई है कि भारतीय लोग आर्थिक रूप से बहुत जागरूक हो गए हैं। हर साल बडी संख्या में स्टार्टअप्स सामने आ रहे हैं। शेयर बाजार में भारतीय बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। स्टॉक बाजार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर से लेकर इस साल अक्टूबर तक डीमैट खातों की संख्या में 3.56 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। देश में 13.25 करोड़ डीमैट खाते खोले जा चुके हैं।

घरेलू निवेश का शेयर बाजार में हिस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले चार महीनों के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने खरीदारी से अधिक बिकवाली की है, इसके बाद भी शेयर बाजार की सेहत पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) बिकवाली से अधिक आजकल खरीदारी करने में लगे हुए हैं। यही वजह है कि बाजार अब एकदम से गिरता दिखाई नहीं देता । भारतीय शेयर बाजार में अब विदेशी निवेशकों की भूमिका घटती जा रही है।

इस साल नवंबर के सात दिनों में एफआईआई ने 37,606 करोड़ रुपए की खरीदारी की तो 41,717 करोड़ की बिकवाली की है। जबकि, घरेलू संस्थागत निवेशक यानी डीआईआई ने इस अवधि में 32,272 करोड़ की खरीदारी की और 29,105 करोड़ की बिकवाली की। इस साल अक्टूबर में एफआईआई ने 186,494 करोड़ रुपए की खरीदारी तो 215,551 करोड़ की बिकवाली की। डीआईआई ने इस अवधि में 155,888 करोड़ की खरीदारी जबकि 130,782 करोड़ की बिकवाली की।

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