राज एक्सप्रेस। देश में बंद पड़ी रेल सेवाओं के बीच ही दिल्ली-मेरठ के रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के अपने अंतिम चरण में पहुंचने की खबर सामने आई है। इतना ही नहीं, इस रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने कार्यो को रफ्तार देने के लिए तैयारियां काफी जोरों पर हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए पिलर, ट्रैक से लेकर ट्रेनसेट तक सभी का टेंडर फाइनल होने की प्रक्रिया जारी है। बताते चलें, इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही दिल्ली से मेरठ तक जाने के लिए महज एक घंटे से भी कम समय लगेगा।
रैपिड रेल और मेरठ मेट्रो की संख्या :
दिल्ली-मेरठ के रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के तहत साल 2025 तक भारत में इस रुट के लिए रैपिड रेल के 30 ट्रेनसेट और मेरठ मेट्रो के 10 ट्रेनसेट चलाये जाएंगे। इस प्रोजेक्ट के तहत 82 किलो मीटर लम्बा एक रेलवे ट्रैक निर्मित किया जाएगा। जिस पर मेरठ सीमा में मेट्रो भी चलाई जा सकती है। रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट पर दो प्रमुख चरणों में तेजी से काम चल रहा है। खबरों के अनुसार शुरुआत में दिल्ली से मेरठ तक इसके लिए टेंडर को मई-2020 में फाइनल कर दिया गया था। परंतु ट्रेनसेट की संख्या वेबसाइट पर टेंडर पास होने वाला लेटर डाउनलोड होने के बाद सामने आई है।
गुजरात की कंपनी को मिली निर्माण की जिम्मेदारी :
इस प्रोजेक्ट के निर्माण के समय ही मेरठ मेट्रो के अलग से स्टेशन निर्धारित कर दिए गए थे। इन स्टेशनों में परतापुर, रिठानी, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, एमईएस कॉलोनी, डोरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम शामिल है। इन दोनों तरह की ट्रेनों के कोच बनाने की जिम्मेदारी गुजरात की बॉम्बिर्डियर कंपनी को मिली है। बता दें, बॉम्बिर्डियर कंपनी ही रैपिड और मेट्रो के ट्रेनसेट निर्मित करेगी और NCRTC को सौंप देगी। कंपनी ने इन सभी कात्य की जिम्मेदारी सँभालने के लिए अलग-अलग सालों के दौरान खर्च करने के लिए मेंटीनेंस की कीमत भी तय कर ली है।
बॉम्बिर्डियर को मिला टेंडर :
बताते चलें, इस प्रोजेक्ट का टेंडर गुजरात की कंपनी बॉम्बिर्डियर को करीब 25 अरब 76 करोड़ 93 लाख पांच हजार 936 रुपये में मिला है। इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य साल 2025 तक का रखा गया है। इस टेंडर के तहत कोच का डिजाइन, दुहाई, मोदीपुरम डिपो का रखरखाव, कोच की टेस्टिंग आदि कार्य को शामिल किया गया है।
क्या है रैपिड रेल :
बताते चलें, रैपिड रेल एक छह कोच वाली ट्रेन है। इसके अलावा ट्रेन सेट का मतलब एक पूरी ट्रेन है। सभी कोच के जुड़ जाने के बाद यह ट्रेन एक ट्रेन सेट कहलाता है।
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