दिल्ली में संपत्ति की बिक्री और खरीद पर ट्रांसफर ड्यूटी अब तक लगती थी पुरुषों को 3 प्रतिशत और महिलाओं को 2 प्रतिशत
बढ़ोतरी होने के बाद एक फीसदी बढ़ जाएगी ट्रांसफर ड्यूटी, इससे संकट से उबरने की कोशिश कर रहे रियल इस्टेट सेक्टर पर बढ़ेगा दबाव
रियल इस्टेट कारोबारियों के अनुसार दिल्ली सरकार के इस निर्णय से बढ़ जाएगी संपत्तियों की लागत, प्रभावित होगा कारोबार
राज एक्सप्रेस। दिल्ली में संपत्ति खरीदना महंगा हो गया है। इसकी वजह यह है कि दिल्ली सरकार ने शहर भर में 25 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली संपत्तियों पर ट्रांसफर शुल्क में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। दिल्ली सरकार के इस निर्णय के बाद दिल्ली में प्रापर्टी खरीदना महंगा हो गया है। ट्रांसफर ड्यूटी में बढ़ोतरी को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने मई 2022 में ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन इस संबंध में दिल्ली सरकार द्वारा 10 जुलाई, 2023 को एक अधिसूचना जारी की गई।
वर्तमान समय में दिल्ली में संपत्ति की बिक्री और खरीद पर ट्रांसफर ड्यूटी पुरुषों के लिए 3 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 2 प्रतिशत है। बढ़ोतरी के बाद ट्रांसफर ड्यूटी पुरुषों के लिए 4 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3 प्रतिशत हो गई है। दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग ने 10 जुलाई की अधिसूचना का हवाला देते हुए राजस्व विभाग को एक पत्र जारी किया।
पत्र में कहा गया है कि दिल्ली नगर निगम द्वारा अचल संपत्तियों के ट्रांसफर पर ट्रांसफर ड्यूटी को इस अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से महिला (थर्ड जेंडर सहित) के लिए 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि पुरुष और अन्य (यानी, कोई अन्य इकाई) के मामले में 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे लागू करने के लिए अधिकारियों द्वारा निर्देशित किया गया है। उपरोक्त अधिसूचना दिल्ली के जीएनसीटी में उप-पंजीयकों के सभी कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
रियल इस्टेट कारोबारियों के अनुसार दिल्ली सरकार के इस निर्णय से संपत्तियों की कुल लागत में वृद्धि होगी। इससे संपत्तियां महंगी हो जाएंगी क्योंकि मामूली बढ़ोतरी भी खरीदारों की समग्र भावना पर असर डालती है। माना जा रहा है कि संपत्तियां अब निश्चित रूप से महंगी हो जाएंगी। पहली बार खरीदने वालों को इसका सबसे अधिक नुकसान होगा।
इसकी वजह यह है कि वे आम तौर पर मिड सेगमेंट्स की संपत्तियां खरीदते हैं। उनके लिए एक-एक पैसा मायने रखता है। इस कदम से 3 करोड़ रुपये से 7 करोड़ रुपये के मूल्य वर्ग में संपत्तियों के खंड पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि अधिकांश बिक्री इसी सेगमेंट में की जाती है। कारोबारियों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से कोरोना महामारी के दिनों में आई गिरावट से धीरे-धीरे उबरने का प्रयास कर रहे रियल इस्टेट सेक्टर का विकास प्रभावित होगा।
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