टाटा के करीबी रहे साइरस मिस्त्री Syed Dabeer Hussain - RE
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कभी रतन टाटा के चहेते रहे साइरस मिस्त्री का उन्हीं से हो गया था विवाद, जानिए क्या था पूरा मामला?

बेहद शांत स्वभाव और लो प्रोफाइल जिंदगी जीने वाले साइरस मिस्त्री का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। चलिए जानते हैं उनकी ज़िंदगी के बारे में।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। टाटा समूह के चेयरमैन और शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी जैसे पदों पर रहे अरबपति कारोबारी साइरस मिस्त्री ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। रविवार को महाराष्ट्र में पालघर के पास एक सड़क हादसे में साइरस मिस्त्री का निधन हो गया। साइरस मिस्त्री भारतीय मूल के सबसे सफल और ताकतवर कारोबारियों में से एक पलोनजी शापूरजी के बेटे थे। बेहद शांत स्वभाव और लो प्रोफाइल जिंदगी जीने वाले साइरस मिस्त्री का विवादों से भी गहरा नाता रहा है। खासकर रतन टाटा से हुआ उनका विवाद काफी सुर्ख़ियों में रहा था। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या था वह पूरा मामला।

फैमिली बिजनेस से की शुरुआत?

दरअसल साइरस मिस्त्री ने अपने फैमिली बिजनेस के जरिए इस फील्ड में एंट्री की थी। साल 1991 में उन्हें शापूरजी पालोनजी समूह का डायरेक्टर बनाया गया। यह ग्रुप टाटा समूह में सबसे बड़ा सिंगल शेयरहोल्डर था। साल 2006 तक पालोनजी टाटा समूह के बोर्ड में रहे। उनके रिटायर्ड होने के बाद साइरस मिस्त्री बोर्ड में शामिल हो गए।

रतन टाटा के करीबी थे साइरस?

साइरस मिस्त्री उस समय टाटा समूह के चेयरमैन रहे रतन टाटा के बेहद करीबी थे। रतन टाटा भी उनकी प्रतिभा से खासे प्रभावित थे। साल 2011 में साइरस को टाटा समूह का डिप्टी चेयरमैन बनाया गया था। इसका मकसद यह था कि रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद साइरस मिस्त्री को चेयरमैन बनाया जाएगा।

चार साल रहे टाटा के चेयरमैन :

साइरस मिस्त्री 28 दिसंबर 2012 को टाटा समूह के चेयरमैन बने। हालांकि चार साल बाद 24 अक्टूबर 2016 को अचानक ही साइरस मिस्त्री को उनके पद से हटा दिया गया। उन्हें हटाने का फैसला टाटा संस के बोर्ड ने शेयरहोल्डरों की सलाह पर लिया था। बोर्ड के इस फैसले ने सभी को हैरान कर दिया था, क्योंकि जिस समय साइरस मिस्त्री को हटाया गया, उस समय उनके परिवार के पास टाटा संस के 18.5 फीसदी शेयर थे।

विवाद के पीछे क्या थी वजह?

रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच विवाद का बड़ा कारण कंपनी को लेकर होने वाले फैसले थे। टाटा ग्रुप को अमेरिकी फास्ट फूड चेन से जोड़ना, टाटा स्टील यूके की बिक्री, इंवेस्टमेंट, चुनावी चंदे सहित कई ऐसे फैसले थे, जिसने रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के रिश्ते में दरार डालने का काम किया।

सुप्रीम कोर्ट ने खत्म किया विवाद :

साल 2019 में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने साइरस मिस्त्री को वापस टाटा संस का चेयरमैन बनाने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ टाटा संस सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2021 में NCLAT के फैसले को पलट दिया। इस फैसले के खिलाफ साइरस मिस्त्री वापस सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, लेकिन उन्हें किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली।

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