फिर मंदी के दौर में साइकिल कारोबार सांकेतिक चित्र
व्यापार

फिर मंदी के दौर में साइकिल कारोबार, दाम बढ़े और डिमांड घटी

सेहत की सवारी कही जाने वाली साइकिल भी महंगाई की चपेट में आ गई है। साइकिल कारोबार एक बार फिर विषम परिस्थितियों के चलते मंदी की चपेट में आता नजर आ रहा है।

Shakti Rawat

राज एक्सप्रेस। सेहत की सवारी कही जाने वाली साइकिल भी महंगाई की चपेट में आ गई है। साइकिल कारोबार एक बार फिर विषम परिस्थितियों के चलते मंदी की चपेट में आता नजर आ रहा है। दरअसल कोरोनाकाल के दौरान राजधानी में अचानक साइकिलों की बिक्री बढ़ी थी, शायद लोग सेहत को लेकर जागरूक हुए थे, लेकिन अब यह डिंमाड महामारी के साथ ही कम हो गई है। दूसरी तरफ कच्चा माल महंगा होने से साइकिल का उत्पादन घट गया है और कीमतें बढ़ गई हैं, ऐसे में शहर के साइकिल कारोबार पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। साइकिल कारोबारी अजय छजलानी बताते हैं, कि पहले महीने में 50-60 साइकिलें आसानी से बिक रहीं थीं, लेकिन अब मुश्किल से 25-30 ही बिक पा रहीं हैं। ऐसा ही हाल अधिकांश दुकानदारों का है। इसका बड़ा कारण साइकिल के दाम बढ़ना भी है। जिसके कारण ग्राहक कम हो गए हैं। साथ ही बीते दो सालों में साइकिलों की जो मांग बढ़ी थी, वह भी अब घट गई है।

सभी साइकिलों के दाम बढ़े :

राजधानी के साइकिल मार्केट में हर उम्र के लोगों के लिए साइकिलें मौजूद हैं, लेकिन पिछले दो-तीन माह में इनके दाम बढ़ गए हैं। बच्चों की छोटी साइकिल जो पहले 8 सौ से 1 हजार रू तक आती थी, अब वह 1500 से 2500 के बीच आ रही है। इसी तरह से बड़े बच्चों की साइकिलें 4-5 हजार में आती थी, जो अब साढ़े 5 हजार से 7 हजार रूपये के बीच पहुंच गई हैं, जबकि गेयर वाली और अन्य सुविधाओं से युक्त साइकिलों के दाम 10 हजार और उससे ऊपर हैं।

कच्चा माल हुआ मंहगा :

साइकिल इंडस्ट्रीज से जुड़े कारोबारी बताते हैं, कि पिछले महीनों में साइकिल के निर्माण में काम आने वाला कच्चा माल जैसे स्टील, प्लास्टिक और रबर समेत अन्य चीजें महंगी हो गई हैं। प्लास्टिक जो पहले 75 रूपये प्रतिकिलो मिल जाता था, अब 140 रू प्रतिकिलो हो गया है, इसी तरह से इंजीनियरिंग प्लास्टिक पहले 140 रू था जो अब 250 रू प्रतिकिलो हो चुका है। स्टील 47 से 95 रूपये प्रतिकिलो हो चुका है, और इसी तरह अन्य चीजों के दाम भी बढ़ चुके हैं। जिसके चलते बड़े साइकिल कारखानों में उत्पादन घट गया है, और साइकिल की कीमतों में भी इजाफा हो गया है।

लुधियाना में बनती हैं, सबसे ज्यादा साइकिल :

चीन के बाद हमारे देश में लुधियाना सबसे बड़ा साइकिल उत्पादन केन्द्र है। वहीं से पूरे देश में साइकिलों की सप्लाई होती है। सभी बड़ी साइकिल निर्माता कंपनियां यहीं से ऑपरेट करतीं हैं। वहीं राजधानी के साइकिल कारोबारी बताते हैं, कि लुधियाना में भी कच्चे माल के दाम बढ़ने से उत्पादन घटने और रेट बढ़ने से पिछले तीन-चार महीने में काफी बदलाव हुआ है। लगभग 50 फीसदी असर उत्पादन पर पड़ा है। थोक में रेट बढ़ने से साइकिल के दामों में पहले के मुकाबले 25 से 30 फीसदी का इजाफा हो गया है।

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