राज एक्सप्रेस। बीते सालों में देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, उस समय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन पिछले साल तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज हुई थी। जो दुनियाभर में लगभग दो साल बाद अपने उच्चतम स्तर पर जा पहुंची थी। वहीं, अब बीते 8 सालों में पहली बार कच्चे तेल की कीमतों में इस कदर बढ़त दर्ज की गई है कि, वह अपने 8 सालों के उच्चतम स्तर पहुंच गया है। हालांकि, इस बार कीमतें बढ़ने का कारण कोरोना नहीं बल्कि यूक्रेन-रूस विवाद है।
तेल की कीमतें पहुंची उच्चतम स्तर पर :
दरअसल, बीते सालों में लॉकडाउन के दौरान तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी तब भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल देखा गया था। उसके बाद से देश में लगातार भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती ही गई। हालांकि, इस साल की शुरुआत से अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई खास बढ़त दर्ज नहीं की गई है, लेकिन ऐसे में ये खबर सामने आई है कि, दुनियाभर में तेल की कीमतें 8 साल बाद अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि, इस बार बढ़ी इन कीमतों का मुख्य कारण यूक्रेन-रूस में चल रहा विवाद है।
कितनी बढ़ी कीमतें :
बताते चलें, आठ साल में पहली बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंची हैं। इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की यह कीमतें साल 2014 के बाद की सबसे अधिक कीमतें बताई जा रही हैं। इसके अलावा ऐसा माना जा रहा है कि, यूक्रेन-रूस विवाद के चलते आने वाले कुछ ही दिनों में महंगाई और अधिक बढ़ सकती हैं। इस विवाद के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की जो (95 डॉलर प्रति बैरल) कीमतें अब पार कर गई है। ऐसा लगभग 8 साल पहले हुआ था। ऐसा अंदाजा भी लगाया जा रहा है कि, क्रूड ऑयल महंगा होने से आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ सकते हैं।
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