राज एक्सप्रेस। मारुति सुजुकी के अध्यक्ष आरसी भार्गव स्वीकार करते हैं कि अगर विनिर्माण क्षेत्र की बात की जाए, तो आर्थिक उदारीकरण के बाद के दौर में उनका नजरिया थोड़ा सामाजवादी किस्म का हो गया है। वह सुविधाओं, अधिकारों और दायित्वों में सबकी समान भागीदारी चाहते हैं। मारुति सूजुकी के अध्यक्ष के रूप में भार्गव का मानना है कि विनिर्माण के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बहुत जरूरी है। प्रतिस्पर्धा का माहौल निर्मित करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हमारा विनिर्माण सेक्टर, अपने स्तर पर कार्यक्षम वर्कफोर्स तैयार करने और उसके कल्याण पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहा है। उन्होंने कहा विनिर्माण सेक्टर में काम करने वाला 60-70 फीसदी लोग ब्लू-कॉलर वर्कर्स (शारीरिक श्रम करने वाले) हैं। उनकी स्थिति में बदलाव लाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। कंपनियां यह जिम्मेदार अकेले सरकार पर नहीं डाल सकतीं।
एक मीडिया रिपोर्ट में आरसी भार्गव ने कहा यदि हम विनिर्माण के क्षेत्र में संतोषजनक स्थितियां निर्मित करना चाहते हैं, तो हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात को गौर से सुनना चाहिए और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को समावेशी बनाने का प्रयास करना चाहिए। इस मामले में हमें अपने मानक तय करने होंगे। भार्गव ने कहा हमें पश्चिमी देशों की नकल करने के जरूरत नहीं है। कुछ बदलावों को स्वीकार कर हम अपनी कार्य संस्कृति में बड़ा बदलाव करने में सक्षम होंगे। विकास के इस दौर में हमें यहल बात ध्यान में रखनी होगी। विकास के पश्चिमी माडल को लागू करना हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए। अपनी मूल्य परंपराओं में विकास की नींव रखकर आगे बढ़ने पर ही हम वास्तविक विकास की नींव रख सकेंगे।
एक निजी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि शॉपफ्लोर पर काम करने के दौरान प्राप्त अनुभव के आधार पर ही कंपनी में नए सुधार किए जा सकते हैं। ऐसे में शॉपफ्लोर पर काम करने वाले मेहनतकश लोगों को भी कंपनी की प्रगति से फायदा होना चाहिए। यह बात गांठ बांध लीजिए, उन्हें नजरअंदाज करके हम अपनी कार्य संस्कृति में कोई बड़ा बदलाव नहीं ला सकते। मारुति सूजुकी की स्थापना के साथ ही इसके साथ जुड़े कंपनी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने बताया कि प्रशिक्षुओं को छोड़ दीजिए, तो मारूति सूजुकी कंपनी के सभी कर्मचारी आयकरदाता हैं और उनमें से 90 फीसदी लोगों के पास अपनी कारें है। कंपनी के कर्मचारियों के बहुत सारे बच्चे कंपनी द्वारा स्थापित डीपीएस में पढ़ाई करने को बाद इस समय विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करते हुए बड़ी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
देश, समाज या किसी भी सेक्टर के समावेशी विकास में शिक्षा एक बुनियादी जरूरत है। शिक्षा लोगों के जीवनस्तर और गुणवत्ता के विकास में सबसे अहम भूमिका निभाती है। हमें जापानियों प्रतिस्पर्धी प्रवृति के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा हमारी इंडस्ट्री का अधिकांश हिस्सा 'ओनर मैनेज्ड' हैं। कंपनी के ओनर मुख्य रूप से अपने और अपने परिवार की आजीविका और समाज में अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिए कारोबार की शुरुआत करते हैं। उनका उद्देश्य उद्योग या कंपनी के स्टेक होल्डरों का विकास करना नहीं होता। मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि अगर कोई कंपनी आगे बढ़ना चाहती है तो सबसे पहले उसे अपने कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखना होगा। हमारी कार्यसंस्कृति में किसी कंपनी का प्रमोटर अहम होता है, जिस कंपनी में वर्कफोर्स अहम होगी, वह ऐतिहासिक ऊंचाई हासिल करेगी। मारुति सूजुकी ऐसी की कंपनी है।
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