कोरोना के कारण हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति बढ़ रहा रुझान। Syed Dabeer Hussain - RE
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कोरोना से सुधरी बीमा कारोबार की सेहत, हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति बढ़ा रुझान

जिस तरह से लोगों का रुझान एकाएक बीमा पॉलिसियों की तरफ हुआ है उससे बीमा सेक्टर में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाईट्स –

  • कोरोना से चमका बीमा कारोबार

  • कोरोना कवच और रक्षक में रुझान

  • साढ़े तीन से साढ़े नौ माह तक की पॉलिसी

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19, COVID-19) से जीवन के प्रति मन में पैदा हुए भय के साथ ही जीवन सुरक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता का भाव भी जन्मा है। भावी सुरक्षित जीवन की कामना के साथ लोग अब स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रति खासी उत्सुकता भी दिखा रहे हैं।

चमक उठा बीमा कारोबार -

असाध्य समझे जाने वाले एड्स के मुकाबले छूने-छींकने, संपर्क में आने से फैलने वाली अब तक लाइलाज कोरोना वायरस बीमारी ने तमाम बड़े-छोटे, दंभी-विनम्र देशों की चूलें हिला कर रख दीं हैं। आलम यह है कि कोरोना वायरस के संक्रमण प्रसार को रोकने दुनिया भर में तालाबंदी के सिवाय कोई चारा नहीं रहा।

संक्रमण के खतरे के कारण अपने खोल में सिमट गए देशों के कारण देश-दुनिया के तमाम कारोबारों को तो बुरे देखने पड़े, लेकिन बीमा सेक्टर ही वो एक मात्र क्षेत्र रहा जिसकी पौ-बारह हो गई।

बीमा कारोबार में तेजी आने का मूल कारण स्वास्थ्य बीमा (हेल्थ इंश्योरेंस) के प्रति लोगों का तेजी से बढ़ता रुझान है। स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति आश्वस्त कराने वाले इस सेक्टर में रोजाना बड़ी तादाद में लोगों की आमद दर्ज हो रही है।

दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों के साथ ही देश के तमाम राज्यों में लोग लाखों की तादाद में स्वास्थ्य बीमा करा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों रोजाना तीन सैकड़ा लोग हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हैं।

कंपनियों को प्रीमियम से लाभ –

भोज नगरी भोपाल में औसतन तीन सौ लोग रोजाना बीमा पॉलिसियों से जुड़ रहे हैं। कोरोना के कारण जीवन बीमा के प्रति बढ़े नागरिकों के रुझान के कारण बीमा जगत को पॉलिसी प्रीमियम के तौर पर अनुमानित तौर पर तकरीबन 70 लाख से अधिक रोजाना प्राप्ति हो रही है।

कोरोना कवच –

भले ही कोरोना वायरस बीमारी (COVID-19) का उपचार न मिला हो लेकिन उसे अभी भी दुनिया भर में पूरे मनोयोग से ढूंढ़ा जा रहा है। ऐसे में भारत में बीमा कंपनियों ने साढ़े तीन माह से साढ़े नौ माह की अवधि वाली कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम की बीमा पॉलिसियां जारी की हैं।

मौजूदा कालखंड में मार्च 2020 से बलवती हुई जीवन असुरक्षा की भावना को इन बीमा पॉलिसियों से कुछ संबल मिला है। इलाज में आर्थिक मदद का दावा-वादा करने वाली इन पॉलिसियों पर लोग भरोसा भी कर रहे हैं।

कोरोना संबंधी पॉलिसी पर जोर -

भारतीय जीवन बीमा निगम समेत अन्य निजी बीमा कंपनियों ने कोविड-19 संबंधी कम समयकाल की पॉलिसियों पर फोकस किया है। इन पॉलिसियों में निवेश के इच्छुक लोगों को सिर्फ एक बार प्रीमियम की राशि चुकानी होगी।

बीमा कंपनियों ने कुछ कैशलैस यानी नकद रहित बीमा पॉलिसियां भी ऑफर की हैं। ये पॉलिसियां पांच लाख रुपये तक के इलाज का बीमा कवर करेंगी। हालांकि कुछ ऐसी भी पॉलिसियां भी हैं जिनमें लोगों को पॉलिसी की शर्तों को पूरा करने पर इलाज के लिए निर्धारित राशि भी मिल सकेगी।

इतनी सुविधाएं -

बीमा पॉलिसियों में पॉलिसी धारक के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर अस्पताल में एडमिट होने से लेकर चिकित्सक के परामर्श शुल्क समेत अन्य परीक्षण एवं मेडिकल खर्चों को समाहित किया गया है। एक अध्ययन के मुताबिक बीते एक महीने में जीवन बीमा कराने का 50 फीसद तक चलन बढ़ा है।

एक दिन से लेकर 65 साल –

कई निजी बीमा कंपनियों ने कोरोना के संदर्भ में कम समय वाली जो जीवन बीमा पॉलिसियां पेश की हैं उसमें अस्पताल में इलाज के दौरान होने वाले पूरे खर्च को शामिल किया गया है। रिटर्न देने वाली पॉलिसियों को पसंद करने वाला भी एक वर्ग है।

इन बीमा पॉलिसियों में एक दिन के नवजात से लेकर 65 साल की आयु वाले बुजुर्गों तक का बीमा कराने के लिए अवसर प्रदान किया गया है।

मप्र-छग में बढ़ा चलन -

निजी बीमा कंपनियों के मुताबिक बीते सालों की तुलना में कोरोना कालखंड के दौरान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीवन बीमा पॉलिसियों के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी है। पुराने आंकड़ों के मान से हाल ही में पॉलिसियों का ग्राफ तेजी से ऊपर की ओर बढ़ा है। लगभग सभी छोटी-बड़ी बीमा कंपनियों ने कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम के जीवन बीमा प्रमाण पत्र पेश किये हैं।

समय सीमा पर इरडा के संकेत -

भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority, IRDA-इरडा) ने कोरोना से संबंधित बीमा पॉलिसियों की समय सीमा को ज्यादा करने के संकेत दिये हैं।

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (Confederation of Indian Industry सीआईआई-CII) के कार्यक्रम में इरडा के चेयरमैन सुभाष सी खुंतिया ने इस बारे में लोगों को आश्वस्त करते हुए बताया कि बीमा पॉलिसियों को आम जन हितोपयोगी बनाया जाएगा।

पॉलिसियों को अधिक कारगर और समझने में आसान बनाने का लक्ष्य इरडा चेयरमैन ने जाहिर किया। उन्होंने बताया कि बीमा कराने के इच्छुक लोगों को ज्यादा दस्तावेज न प्रस्तुत करना पड़ें इस दिशा में कदम उठाए गए हैं।

28 लाख लोग जुड़े बीमा से -

गौरतलब है कि नियामक के निर्देश पर जीवन बीमा कंपनियों ने 10 जुलाई के दिन कोरोना कवच और कोरोना रक्षक के नाम की दो पॉलिसियां प्रस्तुत कीं। आंकड़ों के मान से सितंबर तक तकरीबन 28 लाख लोग इन पॉलिसियों से जुड़े।

दूसरे सेक्टर्स में कोरोना संकट की मंदी के बीच बीमा सेक्टर की खुशहाली इस बात से समझी जा सकती है कि इन बीमा पॉलिसियों से लगभग 1 लाख करोड़ रुपयों का अनुबंध हुआ है।

मौजूदा स्थिति -

मौजूदा कोरोना पॉलिसियों की समय सीमा की अवधि साढ़े 3 महीने, साढ़े 6 महीने और साढ़े 9 महीने तक है। इन पॉलिसियों में अधिकतम 5 लाख का बीमा कवर होता है। कोविड-19 के उपचार के लिए वैक्सीन में हो रहे विलंब के मद्देनजर इरडा ने पॉलिसियों की समय सीमा बढ़ाकर उसे जनोपयोगी बनाने का भरोसा दिया है।

कोरोना दावों पर इतना भुगतान -

रिपोर्ट्स के मुताबिक जुलाई के बाद से सितंबर तक कोविड-19 से जुड़े 2 लाख 38 हजार 160 दावे पेश किए गए थे। इन दावों में से 1 लाख 48 हजार 298 दावों का निराकरण कर दिया गया। इन दावों पर कुल 1430 करोड़ रुपयों का भुगतान किया गया।

लॉकडाउन के पहले और बाद -

अप्रैल में कोविड-19 जनित लॉकडाउन के बाद बीमा सेक्टर में लगभग 19.9 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज हुई थी। हालांकि अगस्त महीने से बीमा कारोबार ने संभलते हुए 2.1 फीसदी की वृद्धि हासिल की। इस कालखंड के दौरान लाइफ इंश्योरेंस में 2 जबकि गैर जीवन बीमा पॉलिसियों में 3.6 प्रतिशत तक की तेजी देखने को मिली।

रोजगार की संभावना –

जिस तरह से लोगों का रुझान एकाएक बीमा पॉलिसियों की तरफ हुआ है उससे बीमा सेक्टर में रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। जानकारों की राय है कि आगामी तीन सालों के दौरान बीमा क्षेत्र में 10 लाख से अधिक रोजगार का सृजन पक्का है।

दिवालिया संबंधी नियम होंगे सख्त -

इरडा ने स्पष्ट किया है कि बीमा कंपनियों के दिवाला संबंधी नियमों को न केवल सख्त किया जाएगा बल्कि कड़ाई से पालन कराया जाएगा। पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा के लिए बीमा कंपनियों की दिवालिया संबंधी जानकारियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

गौरतलब है कि मौजूदा नियमों के मुताबिक अभी किसी भी इंश्योरेंस कंपनी को बीमा कारोबार के लिए कुल देनदारी और खर्चों के मान से 150 फीसदी पूंजी रखना अनिवार्य किया गया है।

गड़बड़ाया बजट -

कोरोना कालखंड में उपजी परिस्थितियों और बाजार की स्थितियों के कारण कई जीवन और सामान्य बीमा कंपनियों का दिवाला संबंधी पूंजी बजट गड़बड़ा गया है। कई कंपनियां अनिवार्य 150 फीसदी वाली दिवालिया लिमिट के करीब जा पहुंची हैं। ऐसे में कंपनी को घाटा होने या दिवालिया प्रक्रिया की दशा में बीमाधारक का नुकसान तय है।

अतः आप भी किसी जीवन बीमा पॉलिसी को चुनते समय शर्तों, नियमों को अच्छी तरह से जान एवं समझ लें। कोरोना संबंधी पॉलिसियों का चुनाव करते वक्त तो अतिरिक्त सावधानी बरतना और भी जरूरी है क्योंकि निजी कंपनियां जो ऑफर पेश कर रही हैं उनकी शर्तों का पालन न होने की स्थिति में बीमाधारक लाभ से वंचित भी रह सकता है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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