14 जुलाई के दिन भारतीय शेयरों में एफपीआई यानी विदेशी निवेशकों ने 2,636.43 करोड़ रुपये का निवेश किया।
विदेशी निवेशकों ने इस माह यानी जुलाई में अब तक कुल 14,582.63 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके है।
30 जून को 2023 तक सबसे बड़ा सेक्टोरल इनवेस्टमेंट कैपिटल गुड्स में 3,32,484 करोड़ रुपये का रहा
राज एक्सप्रेस । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 14 जुलाई के दिन भारतीय शेयरों में 2,636.43 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जिसके बाद इस माह यानी जुलाई के लिए टोटल इनवेस्टमेंट 14,582.63 करोड़ रुपये का हो गया है। उल्लेखनीय है कि भारतीय शेयरों में यह निवेश सभी सेक्टरों में देखने को मिला है। 30 जून को 2023 तक सबसे बड़ा सेक्टोरल इनफ्लो कैपिटल गुड्स में 3,32,484 करोड़ रुपये कैमिकल सेक्टर में 1,01,059 करोड़ रुपये का फ्लो देखने को मिला था।
अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों ने भारतीय शेयरों को विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक बना दिया है। उन कुछ वजहों में से एक है जो कि एफपीआई फ्लो की हालिया बिकवाली में योगदान दे सकता है। हालिया बिकवाली के बावजूद, एफपीआई फ्लो इस साल के लिए पॉजिटिव बना हुआ है, जिसमें 101,416 करोड़ रुपये यानी 12,183 मिलियन डॉलर का नेट फ्लो देखने को मिला है।
शेयर बाजार के विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में विदेशी निवेशकों का इंटरेस्ट लगातार बना हुआ है। शुक्रवार को डॉलर इंडेक्स में 100 से नीचे की गिरावट, एक साल का सबसे निचला स्तर, उभरते बाजारों के लिए अनुकूल है। चीन में भी बिक्री का क्रम जारी है और एफपीआई हाल ही में थाईलैंड और वियतनाम जैसे उभरते बाजारों में भी विक्रेता थे। बता दें कि जुलाई में 14 तारीख तक एफपीआई ने भारत में 30660 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस आंकड़े में स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए से निवेश के अलावा, बल्क डील और प्राइमरी मार्केट के जरिए से भी निवेश शामिल है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी एफपीआई फाइनेंस, ऑटोमोबाइल, कैपिटल गुड्स, रियल्टी और एफएमसीजी में निवेश करना जारी रखा है। इन सेक्टर्स में एफपीआई निवेश ने इनके शेयरों के ऊपर जाने में भी बड़ी भूमिका निभाई है। डॉलर में गिरावट एक शक्तिशाली ट्रिगर है, जो एफपीआई प्रवाह को बनाए रख सकता है। हालांकि बढ़ती वैल्युएशन की वजह से कुछ चिंताएं बढ़ा दी हैं। चीन में वैल्युएशन पीई 9 है वहीं भारत में वैल्युएशन पीई 20 के आसपास है। इसके अलावा, डॉलर में लगातार गिरावट, जो अप्रैल 2022 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए अनुकूल है, जिसकी वजह से एफपीआई प्रवाह जारी है।
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