ऑटोमोबाइल। चीन वैसे तो काफी ताकतवर देश माना जाता है, लेकिन कोरोना के चलते कोई ऐसा देश नहीं बचा है। जिसे नुकसान न उठाना पड़ा हो। चाहे वो चीन ही क्यों न हो। भले कोरोना को चीन की साजिश माना जाता हो, लेकिन कोरोना के कारण चीन को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हाल यह है कि, चीन के कई प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लंबे समय तक लगे लॉकडाउन के हटने के बाद भी जुलाई के महीने में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां धीमी पड़ी नजर आई।
चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछड़ा
दरअसल, चीन आर्थिक रूप से मजबूत होने के बाद भी जुलाई में अपने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (Manufacturing Sector) को रफ़्तार देने के लिए कुछ नही कर सका। क्योंकि, चीन में महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते लगा लॉकडाउन जुलाई में पूरी तरह हट गया था। इसके बाद भी जुलाई में चीन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछड़ता हुआ ही नज़र आ रहा था। इस मामले में रविवार को सामने आई एक सर्वे रिपोर्ट के देखें तो, चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का परिदृश्य (landscape) बिल्कुल असंतोषजनक स्थिति में नजर आ रहा है। वहीं, इस मामले में चीन की सरकारी सांख्यिकी एजेंसी और उद्योग समूह चाइना फेडरेशन ऑफ लॉजिस्टिक्स एंड पर्चेजिंग की इस रिपोर्ट की मानें तो, चीन में जुलाई में कमजोर वैश्विक मांग और कोरोना के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण के लिए बरती जा रही सख्ती के चलते ही यहां मैन्युफैक्चरिंग धीमी पड़ी नजर आई।
रिपोर्ट के अनुसार :
सामने आई रिपोर्ट के अनुसार, चीन में चीन का मासिक खरीद प्रबंधक सूचकांक (PMI) जुलाई में गिरकर 49 के स्तर पर आ गया है। जबकि यह जून के 50.2 पर था। बता दें, PMI का आंकड़ा 50 से नीचे आना मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि में गिरावट का सबसे बड़ा संकेत माना जाता है जबकि इसका 50 से ऊपर रहना मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में विस्तार का सूचक होता है। इसके अलावा नए ऑर्डर की संख्या, निर्यात और रोजगार के मोर्चे पर भी मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की जाती भी धीमी पड़ती नजर आई।
अर्थशास्त्री झांग का कहना :
अर्थशास्त्री झांग लिकुन ने कहा, ‘‘विनिर्माण पर जबर्दस्त दबाव है। महामारी का असर अब भी देखा जा रहा है।’’
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