19.7 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का आयात इस साल अप्रैल जून में किया गया
1.5 प्रतिशत है देश के कुल आयात में लैपटॉप, टैबलेट और पीसी आयात की हिस्सेदारी
50 फीसदी कंप्यूटर, लैपटॉप और पीसी भारत में चीन से आयात किए गए
राज एक्सप्रेस। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि लैपटॉप और टैबलेट के आयात के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग मानदंड में बदलाव केवल एक बार की ही व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि इसे धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में लागू करने की केंद्र सरकार की कोई योजना नहीं है। उद्योग समूह की चिंताओें का समाधान करते हुए उन्होंने कहा कि डेटा सुरक्षा की वजह से लैपटॉप और टैबलेट के आयात के नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं। लेकिन इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि केंद्र सरकार उदारीकरण के पहले के समय की नीतियों को फिर से लागू करना चाहती है।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि लैपटॉप और टैबलेट के आयात के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग मानदंड, जिसने पूर्व-उदारीकरण युग की नीतियों की वापसी के व्यापक चिंताओं को जन्म दिया है, एक एक बार के लिए किया गया उपाय है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि केद्र सरकार इसे धीरे-धीरे अन्य क्षेत्रों में लागू करने का प्रयास करने वाली है। ऐसे में आवश्यक है कि इस तरह के उपायों में यह सुनिश्चित किया जाए कि वे 1991 के पहले के दौर में नहीं ले जाएंगे। अधिकारी ने बताया कि लैपटॉप, टैबलेट और सर्वर के लिए आयात नीति में बदलाव को सुरक्षा चिंताओं से प्रेरित है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि ऐसे लाइसेंसिंग मानदंडों को अन्य आयातित वस्तुओं पर लागू नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने पिछले माह एक अधिसूचना के माध्यम से लैपटॉप, व्यक्तिगत कंप्यूटर, सर्वर और टैबलेट के लिए आयात नीति में बदलाव करने की घोषणा की थी। डीजीएफटी ने नियमो में संशोधित करते हुए कहा था कि उनका आयात प्रतिबंधित होगा और एक वैध लाइसेंस के विरुद्ध अनुमति दी जाएगी। अगस्त 3 से प्रभावी होने वाले आयात प्रतिबंधों को बाद में स्थगित कर दिया गया और अब वे 1 नवंबर से लागू किए जाएंगे।
सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि इन वस्तुओं के लिए आयात लाइसेंसिंग के निर्णय पर कोई पुनर्विचार नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार जल्दी ही लाइसेंसिंग मानदंडों को स्पष्ट करने वाले नियमों के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराएगी। केंद्र सरकार के इस कदम को उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत ऐसी वस्तुओं के घरेलू स्तर पर निर्माण के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के उपाय के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह उपाय डेटा लीक को लेकर सुरक्षा चिंताओं के कारण लिया गया।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वासन दिया है कि इससे वस्तुओं की उपलब्धता या कीमत में कोई परेशानी नहीं पैदा होगी। हालांकि, केंद्र सरकार के इस निर्णय ने एप्पल और डेल जैसी कंपनियों ने भी चिंता प्रकट की है कि नए लाइसेंसिंग मानदंड से उनके उत्पादों का शिपमेंट प्रभावित हो सकता है। अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने भी 26 अगस्त को उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक में भारत के इस कदम पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका अमेरिका के भारत को निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
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