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धान की जगह मक्का, दाल और कपास उगाने वाले किसानों की 5 साल तक फसल खरीदेगी केंद्र सरकार

steps to end farmers' movement : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा धान की जगह मक्का, दाल व कपास की खेती करने वाले किसानों की फसल केंद्र सरकार खरीदेगी।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

देश में दालों का उत्पादन जरूरत से बहुत कम होता है

वर्ष 2023 में 29 लाख टन दालों का आयात किया गया था

मक्का का देश में एथनाल उत्पादन में किया जा रहा प्रयोग

राज एक्सप्रेस। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि धान की जगह मक्का, दाल व कपास की खेती करने वाले किसानों की पूरी फसल पांच साल तक केंद्र सरकार खरीदेगी। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार ने इस खरीदारी के लिए सभी तरह की तैयारियां पूरी कर ली हैं। हम अगले सीजन से इस योजना की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह योजना पूरे देश में लागू होगी। इस योजना के तहत नाफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियां ​​किसानों के साथ पांच साल का अनुबंध करेंगी।

किसान यदि पानी की अधिकता वाली धान की फसल को छोड़ने का निर्णय लेते हैं, तो सरकार बिना किसी मात्रात्मक प्रतिबंध के एमएसपी पर दालें, मक्का और कपास खरीदेगी। इसके लिए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय एक पोर्टल विकसित कर रहा है। जिस पर किसान अपने आधार कार्ड नंबर जैसी जानकारी प्रदान करके पंजीकरण कर सकते हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में बहुत बड़े पैमाने पर धान की खेती करने की वजह से भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि बहुत बड़े स्तर पर चावल की खेती किए जाने से पानी का स्तर नीचे जा रहा है।

जल स्तर नीचे जाने का असर उन सभी राज्यों में देखा जा सकता है, जहां बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। इनमें भी पंजाब व हरियाणा में भू-जल का स्तर चिंताजनक रूप से नीचे चला गया है। धान की खेती में पानी बहुत अधिक लगता है। जबकि मक्का, दाल और कपास की खेती में पानी की खपत तुलनात्मक रूप से काफी कम होती है। इन दिनों एथनाल बनाने में मक्के का प्रयोग किया जा रहा है। इस लिए हाल के सालों में इसकी काफी मांग देखने को मिल रही है। केंद्र सरकार भू-जल स्तर को बनाए रखने के साथ-साथ एथनाल उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है।

यही वजह है कि वह किसानों को चावल उत्पादन से मोड़कर मक्का, दाल व कपास की खेती को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है। देश में दालों का उत्पादन जरूरत से बहुत कम होता है। वर्ष 2023 में लगभग 29 लाख टन दालों का आयात करना पड़ा था। धान का उत्पादन घटाकर दालों का उत्पादन बढ़ने की इस योजना से दालों का आयात रोका जा सकेगा और दालों के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा। पीयूष गोयल ने कहा है कि केंद्र सरकार मसूर, उड़द व तुअर दाल की खेती करने पर पूरी फसल को पांच साल तक एमएसपी पर खरीदने की गारंटी देगी।

सरकार की इस योजना से जुड़ने वाले किसानों को एक शपथ पत्र देना होगा कि उन्होंने चावल की खेती छोड़ मक्का, कपास और दाल की खेती शुरू कर दी है। सरकार तो किसानों के खेत पर जाकर उनके शपथ पत्र की जांच भी कर सकती है। फसल बीमा योजना से भी सरकार को इन किसानों की खेती का डाटा मिलता रहेगा। इस योजना से जुड़ने वाले किसानों को सरकारी पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। सरकारी एजेंसी नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन (एनसीसीएफ) व नेशनल एग्रीकल्चर कोपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) के साथ उनकी पूरी फसल की खरीद का अनुबंध किया जाएगा।

ये दोनों एजेंसियां ही किसानों की फसल को खरीदेंगी। गोयल ने बताया कि सरकार का प्रयास है कि उपभोक्ता व किसानों के बीच संतुलन कायम रहे। मतलब किसानों को भी फसल का सही दाम मिले और उपभोक्ता को भी वह महंगा नहीं लगे। उन्होंने बताया कि यही वजह है उन्होंने एक लाख टन प्याज के निर्यात की छूट दी है। ताकि किसानों को प्याज की सही कीमत मिलती रहे। अगर घरेलू स्तर पर कोई दबाव महसूस नहीं हुआ तो और अधिक निर्यात की छूट दी जा सकती है। अगर घरेलू स्तर पर कीमतें एक स्तर से अधिक बढ़ती दिखाई देंगी, तो निर्यात से छूट वापस ले ली जाएगी।

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