ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाए जाने के विरोध में उतरे गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े लोग
कहा अगर कर स्लैब में बदलाव नहीं किया गया तो इस सेक्टर को कुछ ही दिनों में खत्म कर देगा हाई टैक्स
राजीव चंद्रशेखर ने कहा जीएसटी काउंसिल से नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे
राज एक्सप्रेस। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग पर 28 फीसदी जीएसटी लगाए जाने के विरोध के बीच, केंद्रीय राज्य मंत्री (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी) राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जीएसटी की दर को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे कारोबारियों की मांग पर वह जीएसटी काउंसिल से नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री जीएसटी परिषद के 28 फीसदी जीएसटी लगाने के फैसले से परेशान है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर इस इंडस्ट्री के लिए कर स्लैब में बदलाव नहीं किया गया तो हाई टैक्स इस सेक्टर को कुछ ही दिनों में खत्म कर देगा। इसके साथ ही इस इंडस्ट्री में रोजगार के अवसर भी खत्म हो जाएंगे।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक प्रिडिक्टेबल, सस्टेनेबल और परमिसबल फ्रेमवर्क तैयार करना चाहती है। उन्होंने कहा भारत में अभी यह इंडस्ट्री बहुत शुरुआती स्थिति में है और इस फैसले से रियल-मनी गेमिंग इंडस्ट्री को झटका लगा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को ध्यान में रखते हुए वह जीएसटी काउंसिल से इस नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर फिर से विचार करने को कहेंगे।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कुछ लोग इसे संविधान विरोधी बता रहे हैं जो की पूरी तरह से गलत है। जीएसटी परिषद ने 11 जुलाई को कहा था कि सरकार ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, हॉर्स रेसिंग और कैसीनो के कारोबार पर 28 फीसदी का जीएसटी लगाएगी। राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जीएसटी परिषद, जो एक फेडरल बॉडी है, पिछले तीन सालों से इस पर काम कर रही है, जबकि ऑनलाइन गेमिंग के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जनवरी 2023 में ही शुरू हुआ था।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जीएसटी परिषद का मतलब भारत सरकार नहीं है। परिषद में सभी राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व है। यह एक संघीय संगठन है। राज्य सरकारें और वित्त मंत्री एक साथ आए हैं और एक जीएसटी ढांचा तैयार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी काउन्सिल का यह फैसला तीन साल के विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। बता दे कि हाल ही में सरकार ने लोगों द्वारा ऑनलाइन गेम खेलने से जीते गए पैसे पर भी 30 फीसदी टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाया था। अब, उन गेम के कुल मूल्य पर 28 फीसदी का जीएसटी नाम का एक और टैक्स जुड़ जाने से लोगों को एक और झटका लगा है।
उच्च टैक्स रेट का मतलब है कि खिलाड़ियों को अपने गेमिंग खर्चों के लिए अब 28 फीसदी ज्यादा भुगतान करना होगा। इसमें खेल में चीज़ें खरीदना, टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पेमेंट करना और सब्सक्रिप्शन के लिए पेमेंट करना जैसी चीज़ें शामिल हैं। जीएसटी काउंसिल के इस फैसले के बाद ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों और इंडस्ट्री विशेषज्ञों ने इसकी व्यवहारिकता पर सवाल उठाए। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से देश में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री खत्म हो जाएगी। ऑल इंडिया ऑनलाइन गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) के सीईओ रोलैंड लैंडर्स ने सरकार के इस निर्णय को असंवैधानिक और अटपटा करार दिया।
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