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खाने के तेल की कीमतों में जल्द दर्ज हो सकती गिरावट, केंद्र ने दिए तेल कंपनियों को आदेश

देश में महंगे पेट्रोल डीजल की कीमतों के बीच खाने के तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज होने की खबर से लोगों को अब कुछ राहत मिल सकती है।

Author : Kavita Singh Rathore

Edible Oil Price Fall : वैसे तो नया साल हर देश के लिए अच्छा होना चाहिए, लेकिन कोरोना वायरस और रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के चलते सभी देशों के लिए साल 2022 काफी बुरा साबित हो रहा है। ऐसा ही कुछ हाल भारत का भी है। भारत में इस साल कुछ ही महीनों में महंगाई इस कदर बढ़ी है कि, लोग आधा साल बिताने में ही परेशान हो गए हैं। देश में महंगे पेट्रोल डीजल की कीमतों के बीच खाने के तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज होने की खबर से लोगों को अब कुछ राहत मिल सकती है।

तेल की कीमतों में गिरावट :

जी हां, देश में लगातार महंगाई से मच रहे हाहाकार के बीच तेल की कीमतों में कुछ गिरावट देखने को मिली सकती है। क्योंकि, केंद्र सरकार द्वारा तेल कंपनियों को खाने के तेल की कीमतों को कम करने के निर्देश दिए गए है। इस निर्देश के लागु होते ही आने वाले दिनों में खाने की तेल की कीमते कम होने की पूरी उम्मीद है। इसका कारण इसके अलावा सोयाबीन की कीमतों में भी गिरावट की संभावना है। इन तेलों में सोयाबीन, इंपोर्टेड पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की कीमतें गिर सकती है। इस गिरावट के बाद सोयाबीन की अभी कीमत 6,250 रुपए है। तब 750 रुपए की गिरावट के बाद 5,500 रुपए प्रति क्विंटल तक आ सकती है।

केंद्र सरकार के आदेश :

केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को खाने के तेल की कंपनियों को आदेश दिए गए है कि, इंपोर्टेड पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को तुरंत 10-12 रुपए प्रति लीटर तक कम किया जाए। साथ ही सरकार ने कंपनियों से कहा कि, 'अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हालिया कमी को देखते हुए कीमतों में बदलाव एक हफ्ते के भीतर दिखना शुरू हो जाना चाहिए।'

SEA के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का कहना :

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता ने कहा, हमने पहले ही ब्रांडों के आधार पर खुदरा कीमतों में 10-20 रुपए प्रति लीटर की कमी कर दी है। हम उन्हें 10-15 रुपये प्रति लीटर और कम कर देंगे, लेकिन यह रातोंरात नहीं हो सकता, क्योंकि कार्गों एडवांस में बुक किए जाते हैं और प्राइस ट्रांसफर में टाइम लगता है।

खाने के तेल की मांग का 60% आयात :

बताते चलें, भारत द्वारा अपनी खाने के तेल की मांग का लगभग 60% आयात किया जाता है। यही कारण है कि, अंतरराष्ट्रीय कीमतों में अब्तर आने पर घरेलू बाजार पर तुरंत असर देखने को मिलता है। इस बारे में अधिकारियों ने कहा कि, 'सभी प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधि अगले एक सप्ताह में कीमतें कम करने पर सहमत हुए हैं। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। पिछले एक महीने में मूंगफली और वनस्पति को छोड़कर सभी प्रमुख खाने के तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। बीते दिनों वित्त मंत्रालय ने भी नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा।'

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