राज एक्सप्रेस। चीन और पाकिस्तान की ओर से भारत को मिल रही दोहरी चुनौती के बीच देश की सशस्त्र सेनाओं की युद्धक क्षमता में कई गुना इजाफा देखने को मिलने वाला है। रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत गुरुवार को करीब 32 हजार 100 करोड़ रुपए के रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रतिरक्षा मंत्रालय ने बताया कि इनमें सबसे बड़े समझौते के रूप में 19 हजार 600 करोड़ रुपए के दो स्वदेशी शिपयार्ड के साथ नौसेना के लिए 11 अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती पोतों और 6 अगली पीढ़ी के मिसाइल पोत के अधिग्रहण के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। अगली पीढ़ी के 11 अपतटीय गश्ती पोतों की खरीद पर कुल 9 हजार 781 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इनका निर्माण भारतीय-आईडीडीएम श्रेणी के तहत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (कोलकाता) द्वारा किया जाएगा। इन 11 में से 7 पोतों को जीआरएसई द्वारा स्वदेशी डिजाइन के साथ विकसित और निर्मित किया जाएगा, जबकि 4 अन्य पोतों को जीआरएसई सीधे निर्मित किया जाएगा। इन पोतों की डिलीवरी वर्ष 2026 में शुरू हो जाएगी। सामरिक विशेषज्ञों के अनुसार इन तैयारियों से नौसेना की समुद्री सुरक्षा से जुड़ी मौजूदा क्षमता काफी बढ़ जाएगी। इन समझौतों से रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
प्रतिरक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में बताया कि कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के साथ 9805 करोड़ रुपए की लागत से 6 अगली पीढ़ी के मिसाइल वेजल्स की खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनकी नौसेना को डिलीवरी मार्च 2027 से शुरू हो जाएगी। इनमें स्टील्थ, उच्चगति और त्वरित आक्रमण की क्षमता मौजूद होगी। इनकी प्राथमिक भूमिका दुश्मन के युद्धपोतों, व्यापारियों और भू-लक्ष्यों के खिलाफ आक्रामक क्षमता प्रदान करना होगा। इसके नौसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी और इसे मौजूदा चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाएगी।
रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए एक अन्य समझौते के अनुसार ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ भारतीय खरीद श्रेणी के साथ 1700 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से अगली पीढ़ी के मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (लांग रेंज) और ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। मोबाइल कोस्टल बैटरी की डिलीवरी 2027 से शुरू हो जाएगी। यह प्रणालियां ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों से सुसज्जित होंगी और नौसेना की चौरफा हमला करने में सक्षम बनाएगी। बीएपीएल भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उपक्रम है। जो विस्तारित रेंज के साथ नई पीढ़ी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के संवर्धन में योगदान दे रहा है।
प्रतिरक्षा मंत्रालय ने दो अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। जिनमें सुधार के साथ आकाश वेपन सिस्टम और 12 स्वाति रडार की खरीद को लेकर कुल 9 हजार 100 करोड़ रुपए का समझौता किया गया है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ आकाश सिस्टम के अधिग्रहण पर 8 हजार 160 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके अलावा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ 990 करोड़ का स्वाति रडार की खरीद के लिए समझौता किया गया है। इनकी दो साल में सेना में तैनाती संभव है। मंत्रालय ने नौसेना के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपए के एक अन्य समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। जिसमें बाय-इंडियन आईडीडीएम श्रेणी के तहत 13 लिंक्स-यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम की खरीद की जाएगी।
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