राज एक्सप्रेस। देश में पिछले कुछ समय से कई छोटे-बड़े घोटालों की खबरें सामने आती रही हैं। इन मामलों पर खुलासे देश की बड़ी जांच एजेंसी में शुमार सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) की टीम द्वारा की गई छापेमारी के बाद हुए। वहीँ, आज बुधवार को CBI ने एक बड़ी कार्रवाई के तहत ABG शिपयार्ड लिमिटेड के फाउंडर-चेयरमैन ऋषि कमलेश अग्रवाल को बैंक फ्रॉड के मामले गिरफ्तार कर लिया है।
ABG शिपयार्ड लिमिटेड के फाउंडर चेयरमैन गिरफ्तार :
दरअसल, पिछले सालों के दौरान बैंकों से जुड़े कई घोटालें सामने आये हैं। जिनकी सुनवाइयां आजतक कोर्ट में होती आ रही हैं और अब तक बैंकों को उनकी रकम नहीं मिल सकी है। वहीं, अब एक बैंक घोटाला और सामने आ गया है। जो BG शिपयार्ड लिमिटेड के फाउंडर-चेयरमैन ऋषि कमलेश अग्रवाल द्वारा किया गया हैं। इस मामले के तहत CBI ने ऋषि को 22,842 करोड़ रुपए से ज्यादा की कथित बैंक फ्रॉड का आरोपी पाया है। मामले में जांच को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा CBI ने ऋषि पर इंडियन पीनल कोड (IPC) और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने का भी आरोपी पाया है। उनके खिलाफ बैंक के साथ धोखाधड़ी के लिए ऋषि कमलेश अग्रवाल के साथ ही कुछ अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है।
बैंकों का बकाया कर्ज :
बताते चलें, ABG शिपयार्ड लिमिटेड कंपनी को ICICI बैंक के नेतृत्व में 28 बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स से क्रेडिट फैसिलिटी मिली थी। इसके अलावा इस शिपिंग कंपनी पर इन बैंकों के इतना कर्ज बकाया है -
ICICI बैंक का 7,089 करोड़ रुपए
SBI का 2,925 करोड़ रुपए
IDBI बैंक का 3,634 करोड़ रुपए
बैंक ऑफ बड़ौदा का 1,614 करोड़ रुपए
पंजाब नेशनल बैंक का 1,244 करोड़ रुपए
एक्जिम बैंक का 1,327 करोड़ रुपए
इंडियन ओवरसीज बैंक का 1,228 रुपए
बैंक ऑफ इंडिया का 719 करोड़ रुपए बकाया है।
इसके अलावा कुछ अन्य बैंकों का भी कर्ज बकाया है।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ मामला :
CBI द्वारा की गई जांच में ABG शिपयार्ड लिमिटेड के पूर्व CMD ऋषि कमलेश अग्रवाल और तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथुस्वामी और तीन अन्य निदेशकों अश्विनी कुमार सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवतिया को दोषी पाए गए हैं। CBI द्वारा इन सभी के खिलाफ FIR दर्ज की हैं। FIR के अनुसार, फ्रॉड करने वाली दो कंपनियां मुख्य हैं। इनमें ABG शिपयार्ड और दूसरी ABG प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया है। हालांकि, ये दोनों ही कंपनियां एक ही ग्रुप की बताई जा रही हैं।
CBI ऑफिसर्स ने बताया :
इस मामले की जांच कर रहे CBI ऑफिसर्स ने बताया है कि, 'पैसों का इस्तेमाल बैंकों द्वारा जारी किए गए उद्देश्यों के अलावा अन्य चीजों के लिए भी किया गया था। जुलाई 2016 में लोन अकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) और 2019 में फ्रॉड डिक्लेयर किया गया था।'