कारोबारी जुनून देखिए कि आईएएस जैसी रुतबे वाली नौकरी छोड़ मारुति सूजुकी में स्वीकार कर ली थी साधारण सी नौकरी
मारुति सूजुकी ने पहली बार 1 मिलियन यूनिट की अर्ध-वार्षिक बिक्री का आंकड़ा पार किया, यह कंपनी की बड़ी उपलब्धि है
मारुति सूजुकी इंडिया की इस उपलब्धि के पीछे जिस शख्स का हाथ है, उन्हें उनके काम के प्रति जुनून के लिए जाना जाता है
राज एक्सप्रेस। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने अपनी बिक्री में लगातार सुधार किया है। मारूति सूजुकी ने सितंबर 2023 में कुल 1,81,343 इकाइयों की बिक्री की, जो पिछले साल इसी अवधि में बेची गई 1,76,306 इकाइयों से 3.9 प्रतिशत अधिक है। अप्रैल-सितंबर 2023 में मारुति सुजुकी ने 10,50,085 इकाइयां बेचीं। कंपनी की फाइलिंग के अनुसार, मारुति सूजुकी ने पहली बार 1 मिलियन यूनिट की अर्ध-वार्षिक बिक्री का आंकड़ा पार किया है। यह कंपनी की बड़ी उपलब्धि है। मारुति की इस उपलब्धि के पीछे जिस शख्स का हाथ है, उन्हें उनके काम के प्रति जुनून के लिए जाना जाता है। उनके कारोबारी जुनून का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने आईएएस जैसी रुतबे वाली नौकरी छोड़कर मारुति सूजुकी में 2250 रुपए की नौकरी करना स्वीकार किया था।
देश में आईएएस हर युवा का सपना होता है। सैलरी के साथ-साथ उनका रुतबा अलग ही होता है। सरकारी घर, गाड़ी और तमाम सुविधाएं हर किसी को आकर्षित करती हैं । आईएएस की नौकरी आसान नहीं है। यूपीएससी की कठिन परीक्षा पास करने और प्रशिक्षण लेने के बाद ही कोई कोई कलक्टर बन पाता है। इतनी कठिन परिक्षा पास करने के बाद मिलने वाले रुतबे को कोई छोड़ सकता है और वह एक प्राइवेट नौकरी के लिए ? यकीनन कोई ऐसी नौकरी छोड़कर प्राइवेट नौकरी के बारे में सोचेगा तक नहीं। लेकिन आर सी भार्गव अलग तरह के व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कलक्टर पद से इस्तीफा देकर मारुति सूजुकी में 2250 रुपए प्रतिमाह की नौकरी कर ली।
आर सी भार्गव मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन हैं। मारुति में आने से पहले वह एक सफल आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। आईएएस अधिकारी भार्गव 1956 बैच के यूपीएससी के टॉपर रहे हैं। आरसी भार्गव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से गणित में एमएससीकी है। इसके बाद वह अमेरिका चले गए जहां विलियम्स कॉलेज से डेवलपमेंटल इकोनॉमिक्स में एमए की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 1956 में उन्होंने यूपीएससी एग्जाम दिया जिसे उन्होंने टॉप किया था।
आईएएस अधिकारी के रूप में कई सालों तक काम करने के बाद एक दिन अचानक उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उन्हें पहली नौकरी मारुति सुजुकी में मिली। जहां उनकी पहली सैलरी मात्र 2250 रुपये थी। सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला आसान नहीं था। लोगों ने भी उन्हें बहुत समझाया लेकिन भार्गव ने अपना फैसला नहीं बदला। सन 1981 में वह मारुति से साथ जुड़ गए। एक कर्मचारी के तौर पर कंपनी से जुड़े भार्गव ने अपने कामों से मैनेजमेंट को इतना प्राभावित किया कि कुछ ही सालों में वह मारुति सुजुकी ज्वाइंट वेंचर के डायरेक्टर बन गए। 1985 में उन्होंने एमडी का पद संभाला। 1997 में वह चेयरमैन बन गए। उनके गाइडेंस में कंपनी रोज कोई रिकार्ड बना रही है।
भार्गव जिस समय मारुति से जुड़े थे उस समय उनकी उनकी उम्र 48 साल थी, जबकि आज वह 88 साल के हो चुके हैं। 40 सालों के दौरान भार्गव ने अपनी बेजोड़ कारोबारी रणनीतियों से कंपनी को नई ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया है। जापान की सुजुकी कंपनी के मालिक ओसामु सुजुकी अक्सर स्वीकार करते हैं कि अगर भार्गव मारुति से नहीं जुड़े होते तो आज मारूति सूजुकी इतना बड़ा आधार नहीं विकसित कर पाती। उन्होंने मात्र मात्र 2250 रुपये में मारुति में पहली नौकरी की थी, लेकिन आज उन्हें हर माह 1.5 करोड़ रुपए की सैलरी मिलती है। भार्गव की बदौलत वअप्रैल-सितंबर 2023 में मारुति सुजुकी ने 10,50,085 इकाइयां बेचीं हैं। कंपनी की फाइलिंग के अनुसार, मारुति सूजुकी ने पहली बार 1 मिलियन यूनिट की रिकार्ड अर्ध-वार्षिक बिक्री का आंकड़ा पार कर लिया है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।