प्लांट में हुए नुकसान की भरपाई के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को देना होगा मुआवजा
टाटा ने निवेश की अनुमति मिलने के बाद सिंगूर इकाई में कर दिया था शुरूआती निवेश
मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने मुआवजा देने का निर्देश डब्लूबीआईडीसी को दिया
राज एक्सप्रेस। टाटा मोटर्स ने सोमवार को बताया कि सिंगूर प्लांट में हुए नुकसान की भरपाई के लिए पश्चिम बंगाल सरकार उसे 766 करोड़ रुपये मुआवजे का भुगतान करेगी। एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सोमवार को यह मुआवजा देने का निर्देश वेस्ट बंगाल इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डब्लूबीआईडीसी) को दिया। यह फैसला आने के बाद टाटा मोटर्स के शेयरों में 2 प्रतिशत से अधिक की तेजी देखने को मिली है। मंगलवार को कंपनी का इंट्रा-डे हाई 642.50 रुपये पर पहुंच गया।
टाटा मोटर्स को पश्चिम बंगाल में प्लांट के लिए जमीन दिए जाने के मुद्दे पर अक्टूबर 2008 में विरोध शुरू हो गया था। विरोध की वजह से टाटा मोटर्स को अपना प्लांट पश्चिम बंगाल के सिंगूर से गुजरात के साणंद ले जाना पड़ा था। उस समय तक टाटा मोटर्स सिंगूर इकाई पर 1,000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश कर चुकी थी। टाटा मोटर्स के सिंगूर संयंत्र में उसकी छोटी कार नैनो का उत्पादन होना था।
टाटा मोटर्स ने शेयर बाजार को दी गई सूचना में बताया कि तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया है। इसके मुताबिक, कंपनी प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीआईडीसी) से 765.78 करोड़ रुपये की राशि 11 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वसूलने की हकदार है। ब्याज की गणना एक सितंबर, 2016 से मुआवजा चुकाने की तारीख तक की जाएगी।
टाटा मोटर्स ने सिंगूर संयंत्र बंद होने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए डब्ल्यूबीआईडीसी से मुआवजा मांगा था। इसमें पूंजी निवेश पर हुई नुकसान समेत अन्य मदों में खर्च का मुआवजा मांगा गया था। कंपनी ने कहा तीन-सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने 30 अक्टूबर, 2023 को आम सहमति से दिए अपने फैसले में यह मामला टाटा मोटर्स के पक्ष में सुनाया है।
कंपनी ने कहा फैसले के तहत टाटा मोटर्स डब्ल्यूबीआईडीसी से कानूनी कार्रवाई में खर्च हुए एक करोड़ रुपये पाने की भी हकदार है। टाटा मोटर्स ने सिंगूर परियोजना बंद होने के बाद जून, 2010 में अपनी छोटी कार नैनो के विनिर्माण के लिए साणंद में एक नया संयंत्र चालू किया था। हालांकि कुछ साल पहले कंपनी नैनो का निर्माण बंद कर चुकी है। साणंद संयंत्र का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने किया था।
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