अभी बैंक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि इलेक्ट्रिक वाहनों को कैसे अंडरराइट किया जाए, इस दौरान फिनटेक स्टार्टअप्स बहुत आगे बढ़ गए हैं और ईवी फाइनेंसिंग मार्केट पर कब्जा कर लिया
ईवी दोपहिया वाहनों के लिए कुल वित्तपोषण में से 63 फीसदी फिनटेक स्टार्टअप्स का है, जबकि शेष मामलों में बैंकों का योगदान
जब ईवी ऋण की बात आती है तो बैंक दो मुख्य वजहों से पीछे रह जाते हैं, जब बात बैटरी की आती है तो समझ की कमी और द्वितीयक बाजार की अनुपस्थिति
EVs के लिए द्वितीयक बाज़ार विकसित करने का काम कर रहे हैं OTO Capital और RevFin जैसे स्टार्टअप्स
राज एक्सप्रेस । गूगल के प्रतिभाशाली साफ्टवेयर इंजीनियर अरुण कुमार ने उस समय खुद को नौकरशाही के अंतहीन चक्रव्यूह में फंसा पाया, जब उन्होंने एथर 450X खरीदने के अपने सपने को पूरा करने के लिए एक लाख रुपए का कर्ज लेने के लिए बैंकों के चक्कर लगाने शुरू किए। उन्होंने बताया उन्हें आरंभ में बिल्कुल अनुमान नहीं था कि यह काम इतना तकलीफदेह अनुभव के रूप में सामने आने वाला है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच माह के दौराना में मैंने सभी बड़े बैंकों में कर्ज के लिए आवेदन किया। बार-बार दौड़कर गया। सभी औपचारिकताएं पूरी कीं और अंत में पता चला कि मेरा आवेदन खारिज कर दिया गया। मैं परेशान हो गया, आखिर बढ़िया क्रेडिट स्कोर, विश्वसनीय आय के स्रोत के बाद भी उन्होंने मेरा आवेदन रिजेक्ट क्यों कर दिया ?
उन्होंने कहा इस दौरान उन्होंने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और दो प्राइवेट बैंकों में लोन के लिए आवेदन किया, लेकिन आश्चर्य की बात है कि मैं किसी को भी लोन के लिए राजी नहीं कर पाया। यह मेरे लिए गहरे आश्चर्य का विषय था। एक दिन मैं एक बैंक के बाहर मौजूद एक लोन एजेंट से सवाल किया कि आखिर मेरा लोन आवेदन हर बार क्यों खारिज कर दिया जाता है? लोन एजेंट ने जो सवाल किया उसने मुजे सर से पांव तक झकझोर दिया। एजेंट ने बताया कि लोन रिजेक्ट होने में आपकी कोई गलती नहीं है। आपके डाक्यूमेंट, सिबिल और किस्त अदा करने की क्षमताएं सब कुछ ठीक होने के बाद भी उन्होंने आपको लोन क्यों नहीं दिया...यह सोचने की बात है। उसने बताया बैंक ने इस लिए लोन देने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे इलेक्ट्रिक स्कूटर के लिए कर्ज दे ही नहीं रहे हैं।
कुमार ने कहा यह बात मुजे आश्चर्यजनक लगी कि सरकार एक ओर इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है, जबकि दूसरी ओर बैंक अभी इसी उधेड़बुन से नहीं उबर पाए हैं कि इ-वी को कर्ज देना चाहिए या नहीं? लगभग छह महीने तक बैंकों के दरवाजे खटखटाने से परेशान होकर अंतः कुमार ने निजी कर्जदाताओं की तलाश करने का निर्णय किया। उनमें से कुछ ऑनलाइन उपलब्ध थे। आश्चर्य की बात है, ऋण के लिए आवेदन करने के बाद तीन दिन से भी कम समय में बेंगलुरु में अपने घर से बाहर निकले बिना एक एथर 450X बेंगलुरू स्थित अपने घर के दरवाजे पर खड़ा पाया। निजी कर्जदाताओं ने तीन दिन में ही सारी औपचारिकताएं पूरी करके ई-स्कूटर हमारे घर पहुंचा दिया था।
कुमार ने कहा अगर उन्होंने किसी सार्वजनिक बैंक से ऋण लिया होता तो उन्हें थोड़ी कम ब्याज-दर पर सस्ता लोन मिल सकता था। वह स्टार्टअप द्वारा लोन लेने की वजह से मिलने वाली सुविधाएं ज्यादा कीमती हैं। उन्होंने कहा स्टार्टअप ने कर्ज लेने के बाद उन्हें जो सुविधाएं दी हैं, उनका हिसाब लगाने पर आपको लगेगा कि य़ह लोन कहीं ज्यादा सस्ता है। उन्होंने कहा कि ई-स्कूटर बेचने का निर्णय लेने पर गारंटीकृत बायबैक, एक ही ईएमआई योजना पर एक नए मॉडल में अपग्रेड करने का विकल्प, रिप्लेसमेंट के समय सस्ती बैटरी और बीमाकर्ताओं द्वारा डिस्काउन्ट जैसे लाभों को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता। यही वजह है लोग ई-वी के लिए लोन लेते समय बैंकों की जगह फिनटेक स्टार्टअप्स को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।
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