PMCB की LCs पर बैंकों ने RBI से जताई बड़ी चिंता Neha Shrivastava - RE
व्यापार

PMCB की LCs पर बैंकों ने RBI से जताई बड़ी चिंता

कई परिवारों और सहकारी समितियों ने अपनी बचत का बड़ा हिस्सा PMCB के पास रखा था, जो अटक गया है। PMCB में 10,000 रुपयों से कम जमा राशि वाले 63 फीसदी जमाकर्ताओं के 915 करोड़ रुपये जमा हैं।

Author : Neelesh Singh Thakur

राज एक्सप्रेसः पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMCB) और उससे नाता रखने वालों की मुश्किलें फिलहाल कम होने के बजाए बढ़ती दिख रही हैं। नया संकट 60 से 90 दिनों की मियाद वाले उन लेटर्स ऑफ क्रेडिट्स (LCs) यानी ऋण परिपक्वता पत्रों से है जिनका भुगतान पीएमसीबी को करना है। और जो बहुत ज्यादा है।

कुछ बैंकों ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के समक्ष पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMCB) द्वारा जारी किए गए साख पत्रकों की मियाद पूरी होने के बाद पैदा होने वाली स्थिति पर चिंता जताई है।

साख पत्रक की साख दांव परः

एक्सपर्ट्स कहते हैं “इन अकॉमोडेशनल ट्रेड्स के जरिए अलग-अलग बैंकों के द्वारा इस तरह के बिलों को बार-बार छूट देकर फंड को स्थानांतरित करने के लिए चलन में लाया जाता है। हालांकि यह बात आरबीआई की जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगी।”

देश के अग्रणी शहरी सहकारी बैंकों में शुमार PMCB साख पत्रक जारी करने में बड़े रूप से सक्रिय हैं। मुंबई मुख्यालय बेस्ड एक स्टील कंपनी PMCB की नियमित ग्राहक हैं जिसके साथ बैंक ने लंबा वक्त साझा किया है।

PMCB के कुल आकस्मिक देयक या ऑफ बैलेंस शीट आइटम मार्च 2019 तक लगभग 1,721 करोड़ थे। को-ऑपरेटिव बैंक ने लगभग 176 करोड़ रुपये के साख पत्रक जारी किए हैं, जिसे अन्य बैंकों ने डिस्काउंट दिया है उनकी मैच्योरिटी जल्द पूरी होने वाली है।

RBI से गुहारः

रिज़र्व बैंक से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक “कुछ सहकारी बैंकों समेत कुछ और बैंकों ने जल्द मियाद समाप्त होने वाली LCs की ओर रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया का ध्यान आकृष्ट कराया है। इन्होंने खास तौर पर इन साख पत्रों के भुगतान पर अपनी चिंता जताई है। यदि PMCB भुगतान नहीं कर पाता है तो इन बैंकों को बड़ा आर्थिक धक्का लगेगा। कई को-ऑपरेटिव बैंकों को अस्थिर करने के लिए छोटी चूक ही काफी होगी।”

ऐसा रहा चलनः

तय व्यवस्था के अनुसार PMCB को साख पत्रकों की मियाद पूरी होने के बाद इन बैंकों को भुगतान करना है। आम तौर पर साख पत्र या एलसीस़ (LCs) 60 से 90 दिनों के लिए होते हैं, जिनको ट्रेड फाइनेंस के कॉमन टूल के रूप में यूज़ किया जाता है। इसमें सप्लायर बैंक अपने कस्टमर के भुगतान के लिए इंस्ट्रूमेंट को डिस्काउंट देता है। लेकिन इसकी वसूली माल खरीदने वाली कंपनी के बैंक से कुछ महीनों बाद करता है।

लोकल डिस्काउंट ज्यादाः

इंडस्ट्री से जुड़े सूत्र के मुताबिक “कैटेगरी-I वाला PMCB, नॉस्ट्रो अकाउंट्स, NRI खातों और विदेश मुद्रा विनिमय व्यवहार के लिए अधिकृत डीलर रहा है। हालांकि जिन बिल को डिस्काउंट किया गया है वो ज्यादातर स्थानीय प्रकृति के हैं। पीएमसीबी की कुल आकस्मिक देयता इसके बैलेंस-शीट साइज़ की तुलना में अधिक है।”

बैंक जगत में चर्चा है कि दूसरे अन्य बैंकों खासकर को-ऑपरेटिव बैंकों जिन्होंने PMCB के साख पत्र पर डिस्काउंट दिया है या फिर बैंक में डिपॉज़िट किया है, उनको चिंता जरा ज्यादा सता रही है।

ये बिंदु विचारणीयः

  • PMCB कारोबार जिस दौर से गुजर रहा है ऐसे में उसके साख पत्रों की साख पर तक सवाल उठ रहे हैं। ऐसे साख पत्रक बोगस माल डिलेवरी से जोड़कर देखे जा रहे हैं। इन साख पत्रकों को बगैर व्यापार अंतर्निहित ट्रांज़ेक्शन अकॉमोडेशन LCs भी कहा जाता है।
  • इन अकॉमोडेशन ट्रेड्स में सामान्य तौर पर फंड को मूव करने के लिए अलग-अलग बैंकों द्वारा संबंधित बिलों पर बार-बार डिस्काउंट दिया जाता है। यह बात RBI की जांच के बाद प्रमाणित हो पाएगी।

कई परिवारों और सहकारी समितियों ने अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा PMCB के पास रखा था, जो अटक गया है। कुल जमा 11,000 करोड़ के मुकाबले PMCB में कुल 10,000 रुपयों से कम जमा राशि वाले 63 फीसदी जमाकर्ताओं के 915 करोड़ रुपये जमा हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT