राज एक्सप्रेस। आजकल लोग नई कार खरीदने से पहले उसके फीचर्स के साथ ही सेफ्टी को लेकर भी काफी सजग हो गए हैं। ऐसे में कार निर्माता कंपनियां भी कारों को पहले से अधिक मजबूत बनाने पर ध्यान दे रही हैं। इन कारों की सेफ्टी को मापने के लिए इनका क्रैश टेस्ट भी किया जाता है, जिससे इनकी मजबूती और पेसैंजर की सेफ्टी का पता लगाया जाता है। लोग भी अपने लिए मार्केट में अधिक सेफ कारों का चयन कर रहे हैं, और इसका ही परिणाम है कि कार एक्सीडेंट में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में कमी आ रही है। ऐसे में आज हम जानेंगे की यह सेफ्टी रेटिंग क्या है, क्रैश टेस्टिंग कैसे होती है और कारों को सेफ्टी रेटिंग कैसे दी जाती है?
क्या है सेफ्टी रेटिंग?
सभी कारों का क्रैश टेस्ट ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम यानि NCAP के द्वारा किया जाता है। इसके बाद कारों को सेफ्टी रेटिंग दी जाती है। यह सेफ्टी रेटिंग कारों की अलग-अलग कारों को उनके फीचर्स और उनकी सेफ्टी को देखते हुए दी जाती है।
कैसे होती है क्रैश टेस्टिंग?
कारों का क्रैश टेस्ट करने के लिए इसके अंदर इंसान की एक डमी को बैठाया जाता है। जिसके बाद कार को करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलाकर एक बैरियर से टकराया जाता है। इसी तरह कार को साइड और ऊपर से भी टेस्ट किया जाता है। जब कार को सीधे सामने से टकराया जाता है तो इसे फ्रंटल टेस्ट कहा जाता है। जबकि साइडल टेस्ट में दोनों साइड से कार को टकराते हैं और रियर टेस्ट में पीछे से टकराते हैं। इसके अलावा कार का पोल टेस्ट भी होता है जिसमें कार को ऊपर से गिराते हैं।
कारों को सेफ्टी रेटिंग कैसे दी जाती है?
न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम के तहत सभी कारों का क्रैश टेस्ट किए जाने के बाद इन्हें 0 से लेकर 5 के बीच में रेटिंग दी जाती है। हर कार के फीचर्स को ध्यान में रखकर दी जाने वाली यह रेटिंग कार का सिक्यूरिटी पैमाना तय करती है। जिस कार को जितनी अधिक रेटिंग मिलती है, वह उतनी अधिक सिक्योर मानी जाती है।
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