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स्मार्टवॉच डिस्प्ले डिजाइन प्रोजेक्ट को बंद करेगा एप्पल, कर्मचारियों पर लटकी छंटनी की तलवार

आईफोन बनाने वाली दिग्गज कंपनी एप्पल ने अपने एक प्रोजेक्ट को बंद करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय की वजह से कंपनी के कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटक गई है।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • एप्पल ने समय से चल रहे प्रोजेक्ट को बंद करने का निर्णय लिया

  • इस वजह से कंपनी के कर्मचारियों पर लटकी छंटनी की तलवार

  • स्मार्ट वाच की स्क्रीन बहुत बेहतर थी, शानदार दिखते थे विजुअल्स

राज एक्सप्रेस । आईफोन बनाने वाली दिग्गज कंपनी एप्पल ने लंबे समय से चल रहे अपने एक प्रोजेक्ट को बंद करने का निर्णय लिया है। इस वजह से कंपनी के कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटक गई है। कंपनी ने कुछ दिन पहले ही इसने सेल्फ-ड्राइविंग कार से जुड़े एक प्रोजेक्ट को बंद कर दिया था। अब कंपनी ने अपने स्मार्टवॉच डिस्प्ले डिजाइन को डेवलप करने में लगे प्रोजेक्ट को बंद करने का निर्णय लिया है। एप्पल ने कुछ समय पहले ही माइक्रोएलईडी तकनीक से स्क्रीन बनाने की परियोजना पर काम बंद कर दिया है।

बेमिसाल है माइक्रोएलईडी तकनीक

स्मार्ट वाच की स्क्रीन बहुत बेहतर थी। इसमें विजन बहुत क्लियर था। विजुअल्स शानदार दिखाई देते थे। इसे सबसे पहले एप्पल वॉच में लाए जाने की योजना थी। हालांकि कीमत और प्रक्रिया की जटिलता की वजह से कंपनी ने अंततः इसे बंद करने का निर्णय लिया है। एपल अब डिस्प्ले इंजीनियरिंग टीम में बदलाव कर रही है। ब्लूमबर्ग ने बताया कि इसकी वजह से अमेरिका और एशिया में बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो जाएँगी।

कुछ को कंपनी में ही मिलेगी दूसरी भूमिका

एप्पल ने अपने जिन प्रोजेक्ट्स को बंद करने का निर्णय लिया है, उनसे जुड़े कर्मचारियों को कंपनी के भीतर ही कोई और पोस्ट खोजने का मौका दिया गया है। अगर वे कंपनी के भीतर कोई और भूमिका हासिल करने में सफल रहते हैं तो वे कंपनी में बने रहेंगे अन्यथा उन्हें सेवा से अलग होना पड़ेगा। हालांकि सभी को नए रोल्स मिलने के आसार नहीं हैं। बहुत सारे लोगों को नौकरी छोड़नी पड़ेगी। एपल की योजना अपनी तकनीक को अपने यहां ही बनाने की है। इसी योजना के तहत डिस्प्ले प्रोजेक्ट शुरू किया गया था।

माइक्रोएलईडी के विकास के लिए शुरु किया प्रोजेक्ट

कंपनी पहले से ही अपने प्रोडक्ट्स में डिस्प्ले को कस्टमाइज करती है, लेकिन वे काफी हद तक एलजी डिस्प्ले कंपनी और सैमसंग एसडीआई कंपनी जैसे पार्टनर्स के डिजाइन पर आधारित हैं। एप्पल का मानना था कि अगर यह काम वह अपने यहां करेगी तो वह आसानी से अपने कॉम्पटीटर्स पर बढ़त हासिल कर लेगी। इसके अलावा कंपनी को माइक्रोएलईडी बनाने में भी फायदा दिखाई दिया। यह माइक्रोएलईडी भी डेवलप करना चाहती थी।

माइक्रोएलईडी में कम होती है बिजली की खपत

माइक्रोएलईडी लाखों-करोड़ों माइक्रोस्कोपिक लाइट-एमिटिंग डायोड्स से बनते हैं और इस तकनीक में बिजली की खपत कम होती है। इसके साथ ही इसमें कलर एकदम सटीक दिखते हैं। स्लिम डिवाइस पर भी इसे लगाना आसान होता है। इन्हें बनाने पर एप्पल ने करीब सात साल पहले काम शुरू किया था। अब यह प्रोजेक्ट बंद हो गया है, तो फिलहाल एप्पल का मानना है कि इसके स्मार्टवॉच के लिए ओएलईडी बेहतर है, लेकिन इसकी नजर माइक्रोएलईडी पर भी बनी हुई है। कंपनी इसके लिए नए सप्लॉयर्स और प्रोसेस पर काम कर रही है जिससे इसके डिवाइसेज पर यह आ सके।

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