राज एक्सप्रेस। जहां कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी कंपनियां नुकसान का सामना कर रहीं हैं वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) एक एक करके बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ डील फाइनल करके अपनी कंपनी को कर्ज मुक्त करने में लगी हुई थी। वहीं, हाल ही में RIL चेयरमैन मुकेश अंबानी ने जानकारी दी कि, उनकी कंपनी यानि रिलायंस इंडस्ट्रीज अब कर्जमुक्त हो गई है। इतना ही नहीं RIL कंपनी ने खुद को दी गई डेडलाइन से 9 महीने पहले ही कर्जमुक्त कर लिया है। वहीं, अब अपने भाई की राह पर चल कर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के मालिक अनिल अंबानी भी अपनी कंपनी को कर्जमुक्त करने के प्रयासों में जुट गए हैं।
अनिल अंबानी का ऐलान :
दरअसल, हाल ही में अपने भाई की कंपनी को कर्जमुक्त होते देख अनिल अंबानी जो कि, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के अध्यक्ष है ने अपनी कंपनी को चालू वित्त वर्ष के दौरान ही पूर्ण रूप से कर्ज मुक्त करने का ऐलान कर दिया है। बताते चलें, अनिल अंबानी द्वारा ऑनलाइन प्लेटफ्रॉम पर अपनी कंपनी के शेयर होल्डरों के साथ एक वार्षिक बैठक ली गई। जिसमें उन्होंने संबोधन के दौरान ही उन्होंने यह ऐलान किया। बताते चलें कि, वर्तमान में रिलायंस इंफ्रा कंपनी 6,000 करोड़ रुपये से भी अधिक के कर्ज में डूबी है।
रिलायंस इंफ्रा ने बेचा अपना कारोबार :
बताते चलें, कुछ साल पहले मुकेश की कंपनी रिलायंस इंफ्रा काफी कर्ज में थी फिर साल 2018 के दौरान रिलायंस इंफ्रा ने अपना मुंबई वाला ऊर्जा कारोबार अडाणी ट्रांसमिशन को करीब 18,800 करोड़ रुपये में बेचा था। जिससे कंपनी का लगभग 7,500 करोड़ रुपये कम हो गया और कंपनी को कुछ राहत मिली। वहीं, अब कंपनी अपना बचा हुआ कर्ज खत्म करने के लिए अपने दिल्ली-आगरा टोल रोड को सिंगापुर स्थित क्यूब हाईवे एंड इंफ्रा को बेचने की तैयारी में है। यह डील 3,600 करोड़ रुपये में पूरी होने की प्रक्रिया चल रही है।
अनिल अंबानी पर आई मुसीबतें :
बताते चलें, रिलायंस इंफ़्रा के मालिक अनिल अंबानी एक तरफ पहले ही काफी समय से कर्ज की समस्या से परेशान है। वहीं दूसरी तरफ उनके ऊपर पिछले कुछ समय में कई और परेशानियों के पहाड़ टूटे हैं। चाहे वह ब्रिटेन की अदालत द्वारा दिए गए निर्देश पर अनिल अंबानी को चीन के बैंकों को लगभग 5500 करोड़ रुपये का भुगतान करने की समस्या हो या हाल ही में भारत के सरकारी बैंक SBI द्वारा 1,200 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने को लेकर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में आवेदन करना हो।
वहीं, अनिल अंबानी द्वारा एक अन्य समस्या बताई गई कि, रिलायंस इंफ्रा ग्रुप को लगभग 60,000 करोड़ की जरूरत हैं, यह रकम 5-10 साल से विनियामक और मध्यस्थता के मामलों में फसें हुए हैं।
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