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इलाहाबाद बैंक: 2019 के मामले, ग्राहकों के मन में उठ सकते हैं सवाल!

पिछले साल इलाहाबाद बैंक से जुड़ी कई चौंका देने वाली खबरें सामने आईं। इन खबरों में बैंक को कई बार घाटा होने, एक हजार करोड़ रुपए डूबने और धोखाधड़ी होने तक की बात सामने आई थी।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। वित्त वर्ष 2018-19 भारत के कई बैंकों के लिए चुनौतीपूर्ण वर्ष रहा, इस दौरान कई बैंक मर्ज हो गए तो कई के हाल बद से बदतर होते चले गए। वहीं इन सबके बीच इलाहाबाद बैंक से जुड़ी कई चौंका देने वाली खबरें सामने आईं। इन खबरों में बैंक को कई बार घाटा होने, एक हजार करोड़ रुपए डूबने और धोखाधड़ी होने तक की बात सामने आई थी। बैंक को हो रहे लगातार घाटे और धोखाधड़ी के मामलों को देखते हुए, ग्राहकों के मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि, क्या उनका पैसा बैंक में सुरक्षित रहेगा?

रिटेल बैंकिग बुटिक मामले में दोषी को हुई सजा :

CBI की दिल्ली शाखा द्वारा यह जांच पड़ताल 12 अप्रैल 2001 को सूचना मिलने पर शुरू की गई थी। वहीं अब उसी मामले में बैंक के पूर्व मैनेजर एसके अग्रवाल को दोषी मानते हुए गिरफ्तार किया गया है। बैंक के इस पूर्व मैनेजर ने सही दस्तावेजों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर करोड़ों की रकम के घोटाले में मदद की थी। दरअसल, रिटेल बैंकिग बुटिक बनाने के नाम पर एक कंपनी ने इलाहाबाद बैंक से घोटाला किया था।

जांच से आया सच सामने :

CBI द्वारा जांच में पता चला कि, RRB सेक्टर-10 नोएडा स्थित इलाहाबाद बैंक की शाखा के एक मैनेजर एसके अग्रवाल के पास साल 2000 के जून माह में 33 लोगों ने लाखों रुपये के कार लोन के लिए अप्लाई किया था, जिसमें से बैंक के मैनेजर ने करीब 12 लोगों के सही डाक्यूमेंट्स का गलत इस्तेमाल करते हुए लोन पास कर दिया था। इस मामले की सुनवाई इसी मंगलवार को हुई। जिसमें अदालत ने मैनेजर पर धोखाधड़ी करने के साथ ही कई अन्य धाराएं भी लगायीं थीं। हालांकि, कई अन्य धाराओं से तो मैनेजर बरी हो गया, लेकिन सही दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करने के लिए मैनेजर को छह महीने की सजा हुई साथ ही दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

1000 करोड़ रुपए डूबने की खबर :

बीते साल 2019 में इलाहाबाद बैंक द्वारा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के हमीरपुर, महोबा और बांदा में किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) दिया गया था, जिसके चलते एक हजार करोड़ रुपए डूब जाने की आशंका जताई गई थी। उसमें भी किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 95% किसानों को 2,200 करोड़ रुपए का ऋण दिया गया था, लेकिन इसमें भी आधी राशि की वसूली नहीं हो सकी थी और फिर बैंक द्वारा इस राशि को NPA खाते में डाल दिया गया था।

बैंक को PCA सूची में डालने की खबर :

इलाहाबाद बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 में 8,334 करोड़ रुपये का घाटा उठाने के बाद, वित्त वर्ष 2019-20 में नुकसान से उभरने के लिए कई योजनाएं बनाईं गयीं थीं और कई माध्यमों द्वारा 4,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बैंक ने निदेशक मंडल से मंजूरी भी ले ली थी, लेकिन फिर भी बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नुकसान को देखते हुए इलाहाबाद बैंक को प्रांप्ट करेक्टिव एक्श्न (PCA) के अंतर्गत लाये जाने वाले बैंकों की लिस्ट में डाल दिया गया था। इसके बाद साल 2019 में यह खबर भी सामने आई थी कि, साल 2018 में सरकार द्वारा 3 किस्तों में बैंक में 11,740 करोड़ रुपये का निवेश किया गया तब बैंक को इस लिस्ट से बाहर किया गया।

नोट : किसी भी बैंक के प्रांप्ट करेक्टिव एक्श्न (PCA) लिस्ट में आ जाने के बाद बैंक पर खर्च और कर्ज देने से जुड़ी कई पाबंदियां लग जाती हैं।

बीते साल इलाहाबाद बैंक का NPA :

इलाहाबाद बैंक को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 8,457.38 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इस मामले में बैंक ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को बताया था कि, "वित्त वर्ष के दौरान कुल आय एक साल पहले 19,487.51 करोड़ रुपये के मुकाबले 18,806.38 करोड़ रुपये थी।" वहीं, वित्त वर्ष 2019 में बैंक के प्रावधान और आकस्मिकता बढ़कर 11,899.51 करोड़ रुपये हो गई थी, जो वित्त वर्ष 18 में 10,031.27 करोड़ रुपये थी। उधर बैंक का प्रोविजन कवरेज अनुपात (PCR) मार्च 2019 के अंत तक में 79.85 % तक के सुधार देखने मिला था। पिछले साल ही बैंक ने NPA के प्रावधान को बढ़ाकर 11,761.13 करोड़ रुपये कर दिया था। बैंक का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) अनुपात वित्त वर्ष 2019 में 17.55% रहा था।

2018-19 की चौथी तिमाही में बैंक को हुआ घाटा :

तिमाही आधार पर, इलाहाबाद बैंक को 2018-19 की चौथी तिमाही के दौरान बैंक को 3,834.07 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था, जबकि, इलाहाबाद बैंक की कुल आय साल 2019 (Q4FY19) में 4,252.36 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,602.86 करोड़ रुपये हुई थी। जबकि, बैंक को सरकार से लगभग 6,896 करोड़ रुपये की पूंजी मदद के रूप में प्राप्त हुई।

जुलाई-सितंबर तिमाही का घाटा :

इलाहाबाद बैंक को साल 2019 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान बैंक के घाटे में बढ़ोतरी हुई, घाटा बढ़कर 2,114 करोड़ रुपये हो गया, जिसके चलते उच्चतर प्रावधानों और परिसंपत्ति की गुणवत्ता काफी बिगड़ गई। वहीं, बैंक की शुद्ध ब्याज आय (NII), ब्याज दर और ब्याज के बीच का अंतर (Q2FY20) भी 10.9% सालाना की दर से बढ़कर 1,275.7 करोड़ रुपये हो गयी, जिसमें 2 प्रतिशत की मौद्रिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। परिसंपत्ति-गुणवत्ता के मामले पर, सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के रूप में सकल अग्रिमों का प्रतिशत 162bps क्रमिक रूप से बढ़कर 19.05% हो गया। वहीं, शुद्ध NPA तिमाही में 27bps QoO से बढ़कर 5.98 प्रतिशत हो गया।

धोखाधड़ी के मामले :

साल 2018-19 के दौरान इलाहाबाद बैंक के खिलाफ 322 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट दर्ज की गई, जिसमे कुल 70.54 करोड़ रुपये की राशि की धोखाधड़ी की खबर सामने आई थी। जिसमें से बैंक ने 13.68 करोड़ रुपये की वसूली कई ली थी। इस दौरान बैंक के सकल NPA में 1,128.70 करोड़ रुपये और शुद्ध NPA में 709.20 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई थी।

इलाहाबाद बैंक घोटाला :

पिछले साल इलाहाबाद बैंक से जुड़ा एक घोटाला भी सामने आया था। जिसमे भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) कंपनी द्वारा बैंक को 1,774.82 करोड़ रुपए का चूना लगा था। इस मामले में इलाहाबाद बैंक ने बताया था कि, BPSL में बैंक की फंसी हुई धन राशि के विरुद्ध पहले ही 900.20 करोड़ रुपए की प्रॉविजनिंग की गई थी।

घाटे के चलते मर्ज :

बीते साल 2019 में नबंबर में घाटे के चलते ही इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में मर्ज हो जाने की भी खबर सामने आई थी। जिसके लिए बैंक को मंजूरी भी मिल गई थी। वहीं, इलाहाबाद बैंक को 2018-19 की चौथी तिमाही में 3,834.07 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा झेलना पड़ा था। जिसके चलते बैंक और कर्ज में डूबता चला गया। बैंक को 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में भी 3,509.63 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वित्त वर्ष के अप्रैल-मार्च 2018-19 में बैंक का घाटा बढ़कर 8,457.38 करोड़ रुपये पहुंच गया।

बैंक की आय भी घटी :

पिछले साल (2019) बैंक की आय भी काफी हद तक घटी थी। घटने के बाद ये 18,806.38 करोड़ रुपये रह गई थी। मार्च 2019 तक बैंक का सकल गैर निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) बढ़कर बैंक के कर्ज के 17.55 % के बराबर पहुंच गया था। वहीं, वित्त वर्ष के अंत तक बैंक का सकल NPA 28,704.78 करोड़ रुपये रह गया था।

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