Air India के अधिग्रहण के लिए CCI ने Tata Group को दी इजाजत। Kavita Singh Rathore -RE
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Air India के अधिग्रहण को मंजूरी, CCI ने टाटा समूह (Tata Group) को दी इजाजत

सरकारी मालिकाना हक वाली एअर इंडिया का 46,262 करोड़ रुपयों का कर्ज एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल/AIAHL) को हस्तांतरित होगा।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • Air India के अधिग्रहण को मंजूरी

  • CCI ने Tata Group को दी इजाजत

  • पवनहंस भी अब निजीकरण की कतार में

राज एक्सप्रेस। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) ने टाटा समूह (Tata Group) की कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एअर इंडिया लिमिटेड (Air India Limited) और एअर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड (Air India Express Limited) के साथ ही एअर इंडिया सैट्स एयरपोर्ट सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (Air India SATS Airport Services Private Limited) के अधिग्रहण को अनुमति प्रदान कर दी है।

गंभीर आर्थिक सकंट और क्रमशः बढ़ती हानि की वजह से सरकार ने इस सरकारी विमानन कंपनी के निजीकरण का निर्णय लिया था। इस कवायद के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियां लगायी गयी थीं। इसके जरिये नुकसान में डूबी यह कंपनी टाटा समूह के हवाले हुई थी।

सरकार की इच्छा एग्रीमेंट को इसी महीने (दिसंबर) के अंत तक पूरा करने की थी। इसके लिए प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) की मंजूरी नितांत आवश्यक थी, जो आखिरकार टाटा संस को मिल गई।

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बयान में दी जानकारी - टैलेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एअर इंडिया लिमिटेड, एअर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड और एअर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड में शेयरहोल्डिंग के अधिग्रहण को मंजूरी देने की जानकारी कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (Competition Commission of India- CCI) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने एक बयान जारी कर दी।

इतनी पूंजी के अधिग्रहण पर विचार - टैलेस प्राइवेट लिमिटेड का विचार एअर इंडिया लिमिटेड और एअर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड (AIXL) की सौ फीसदी इक्विटी शेयर पूंजी और एअर इंडिया SATS एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (AISATS) की 50 फीसदी इक्विटी शेयर पूंजी का अधिग्रहण करने का है।

इसके पहले क्या हुआ? -इस साल 8 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि टैलेस ने कर्ज में डूबी एयरलाइन एअर इंडिया का अधिग्रहण करने संबंधी बोली में जीत हासिल की है। टाटा ने 18,000 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ स्पाइस जेट (SpiceJet) के प्रमोटर अजय सिंह को बोली में पीछे छोड़ा था।

इसके बाद 25 अक्टूबर को, सरकार ने अपने स्वामित्व वाले एयर इंडिया के विनिवेश के लिए टाटा संस के साथ शेयर खरीद संबंधी करार पर दस्तखत किये। इस माह नागरिक उड्डयन (civil Aviation) मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने भी संकेत दिये थे कि; एअर इंडिया का टाटा संस का हस्तांतरण आगामी 1 से डेढ़ माह में पूरा हो जाएगा।

अर्से बाद निजीकरण - निजीकरण प्रक्रिया पर ध्यान दें तो वर्ष 2003-04 के बाद लंबे अंतराल के उपरांत 2021 में पहली बार सरकारी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन हुआ है। इनमें सीपीएसई, एअर इंडिया और सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के नाम प्रमुख हैं।

एअर इंडिया को टाटा समूह (TATA Group) ने 18,000 करोड़ रुपये में खरीदा तो विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय के अधीन सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स को दिल्ली के नंदाल फाइनेंस एंड लीजिंग ने 210 करोड़ रुपये में क्रय किया।

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टैलेस के बारे में - एअर इंडिया के शेयरहोल्डिंग के अधिग्रहण की अनुमति टैलेस लिमिटेड को प्रदान की गई है। "टैलेस"; टाटा संस की पूर्णतः स्वामित्व वाली एक सहायक कंपनी है। यह कंपनी निवेश होल्डिंग के तौर पर जानी जाती है। "टैलेस" भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई/RBI) के साथ एक मुख्य निवेशक कंपनी बतौर पंजीकृत है जिसे “निवेश कंपनी की कैटेगरी में स्थान प्रदान किया गया है।

टाटा के हिस्से में कर्ज - शेयर एग्रीमेंट के मुताबिक सरकारी मालिकाना हक वाली एयर इंडिया का 46,262 करोड़ रुपयों का कर्ज एअर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल/AIAHL) को हस्तांतरित होगा।

इसमें से टाटा समूह कुल 61,562 करोड़ के कर्ज का 15 प्रतिशत अपने पास रखेगा। इसी तरह सरकार को टाटा समूह से तकरीबन 2,700 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे जबकि रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा कंपनी 15,300 करोड़ रुपयों का कर्ज लेगी।

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पवन हंस (Pawan Hans) भी कतार में - सरकारी कंपनियों में विनिवेश की सरकारी मंशा की कड़ी में पवन हंस (Pawan Hans) भी एक प्रमुख नाम है। पवन हंस हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता कंपनी है। प्राइवेटाइजेशन की कड़ी में अब तक एअर इंडिया को मिलाकर कुल 3 कंपनियों का निजीकरण हो चुका है। बताया जा रहा है कि अब सरकारी कंपनी पवन हंस के निजीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।

इसकी हिस्सेदारी विक्रय के लिए कई वित्तीय बोलियां सरकार को प्राप्त हुई हैं। इससे पवन हंस की विनिवेश प्रक्रिया के अंतिम चरण में होने के संकेत मिले हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि बोली लगाने वाली कंपनियों की संख्या के बारे में अधिकृत रूप से फिलहाल तक कोई खुलासा नहीं किया गया है।

डिस्क्लेमर आर्टिकल एजेंसी और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित जानकारियां जोड़ी गई हैं। इसमें प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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