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एआई बेहद उपयोगी, स्वदेशी भाषाओं में किया जाना चाहिए इसका विकासः भाविश अग्रवाल

इनसाइट 2023 सम्मेलन में ऑटोमोटिव उद्योग में ईवी के भविष्य और एआई के मानव जीवन में उपयोग पर भाविश अग्रवाल और सद्गुरू जग्गी के बीच महत्वपूर्ण बातचीत हुई।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • भाविश ने ओला की महत्वाकांक्षी योजनाओं, जिसमें तमिलनाडु गीगाफैक्ट्री भी शामिल है, पर बात की।

  • भाविश अग्रवाल ने ईवी क्षेत्र में बढ़ती उद्यमशीलता की संभावनाओं का भी समर्थन किया।

  • भाविश अग्रवाल ने कहा कि दैनिक जीवन में एआई उपयोगी, सांस्कृतिक सहचर्य को मिलेगा बढ़ावा।

राज एक्सप्रेस। सद्गुरु अकादमी द्वारा आयोजित इनसाइट 2023 सम्मेलन में ऑटोमोटिव उद्योग के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र के भविष्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की वर्तमान स्थिति और इसके मानव जीवन में उपयोग पर ओला के संस्थापक भाविश अग्रवाल और प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु सद्गुरू जग्गी के बीच आकर्षक बातचीत हुई। सद्गुरु ने कृत्रिम बुद्धि के विकास की वजह से मानवता के लिए पैदा हुए खतरों पर प्रकाश डाला। जबकि, भाविश अग्रवाल ने सांस्कृतिक सहचर्य के टूल के रूप और दैनिक जीवन में एआई की भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बताया।

नई प्रौद्योगिकियों की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, सत्र में मानव नवाचार में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसकी वजह से अभूतपूर्व आराम और सुविधाएं पैदा हुईं। सद्गुरु ने कृत्रिम बुद्धि के विकास के बीच मानवता के विकास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा हालांकि इसकी वजह से असीमित संभावनाएं पैदा हुई हैं, लेकिन मानवता को इस पर विचार करना चाहिए कि ऐसी दुनिया में 'कैसे रहें' जहां मशीन पर निर्भरता हमारे सार को चुनौती दे सकती है। उन्होंने कहा, बहुत सारे लोग इस बात से भी चिंतित हैं कि एआई अगले दिनों में उनसे काम छीन लेगी।

अगर इंसान इसी तरह मानवीय दबाव की स्थिति में रहा तो यह समझ लिया जाना चाहिए कि अगले 15-25 वर्षों में मानसिक रूप से स्वस्थ बने रहना सबसे बड़ी चुनौती होगी। यही नहीं, अगले 25-50 साल के समय में, शारीरिक रूप से स्वस्थ बने रहना भी एक बड़ी चुनौती बन जाएगी। स्वास्थ्य अब एक प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं रह गई है, क्योंकि इसके मूल सिद्धांतों को छीना जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के स्वास्थ्य में चिंताजनक गिरावट का जिक्र करते हुए कहा कि फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व बहुत कम होते जा रहे हैं, जो मानव स्वास्थ्य और भलाई के लिए जिम्मेदार हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है।

जबकि, भाविश अग्रवाल ने एआई-संचालित मॉडल के माध्यम से उत्पाद और सेवा वितरण में क्रांति लाने में भारत के नेतृत्व की कल्पना करते हुए, ईवी क्षेत्र में बढ़ती उद्यमशीलता की संभावनाओं का समर्थन किया। भाविश अग्रवाल ने एआई-संचालित मॉडल के माध्यम से उत्पाद और सेवा वितरण में क्रांति लाने में भारत के नेतृत्व की कल्पना करते हुए, ईवी क्षेत्र में बढ़ती उद्यमशीलता की संभावनाओं का समर्थन किया। उन्होंने ओला की प्रगति को रेखांकित किया, जिसमें तमिलनाडु में एक विशाल गीगाफैक्ट्री परियोजना भी शामिल है, जिसका उद्देश्य लिथियम बैटरी का उत्पादन करना है, जो संभावित रूप से वाणिज्यिक विमानों को चलाने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली है।

भारत-केंद्रित एआई पारिस्थितिकी तंत्र की तत्काल आवश्यकता पर बोलते हुए, भाविश अग्रवाल ने सांस्कृतिक सहचर्य और दैनिक जीवन में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण डेटा, क्षेत्रीय भाषाओं में मौजूद नहीं होने की वजह से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को दैनिक जीवन में उपयोगी बनाने के प्रयासों को सीमित करता है। भाविश अग्रवाल ने कहा भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र, अर्थव्यवस्था और हम जैसे उद्यमियों के लिए एआई का भारतीय प्रतिमान बहुत जरूरी है।

कई कारणों से सांस्कृतिक सहचर्य के लिहाज से एआई हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाने की शक्ति बनता जा रहा है। आज के एआई ने इंटरनेट पर डेटा से सीखा है, जो काफी हद तक गैर-भारतीय डेटा है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हमारी अधिकांश भारतीय भाषाएँ आज इंटरनेट पर नहीं हैं। भाविश अग्रवाल ने कहा कि यदि हमें एआई को आम आदमी के जीवन के लिहाज से उपयोगी बनाना है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे पास हमारी सभी भारतीय भाषाओं में पर्याप्त डेटा मौजूद हो।

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