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रुनवाल के बाद किशोर बियानी ने भी मुंबई के सोबो मॉल के अधिग्रहण लिए की 476 करोड़ की पेशकश

किशोर बियानी ने बीएमएमसीपीएल के 571 करोड़ के कर्ज के एकमुश्त निपटान के लिए केनरा बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं को 476 करोड़ रुपये की पेशकश की है।

Author : Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • बंसी मॉल मैनेजमेंट कंपनी हाली अली क्षेत्र में स्थित सोबो मॉल की मालिक है

  • बियानी की पेशकश रुनवाल की 475 करोड़ की बोली को मंजूरी के बाद आई है

  • बियानी ने पिछले हफ्ते कोर्ट की शरण लेकर की खुद ऋण निपटाने की पेशकश

राज एक्सप्रेस : मशहूर कारोबारी और फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी ने बंसी मॉल मैनेजमेंट कंपनी (बीएमएमसीपीएल) के 571 करोड़ रुपये के कर्ज के एकमुश्त निपटान (ओटीएस) के लिए केनरा बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं को 476 करोड़ रुपये की पेशकश की है। बंसी मॉल मैनेजमेंट कंपनी (बीएमएमसीपीएल) मुंबई के हाली अली क्षेत्र में स्थित सोबो सेंट्रल मॉल की मालिक है। इस मामले में मुश्किल यह है कि बियानी की पेशकश लेनदारों द्वारा संपत्ति के लिए रुनवाल समूह की 475 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी देने के बाद आई है।

इस मामले से परिचित लोगों ने बताया कि किशोर बियानी की यह पेशकश नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से संपत्ति के लिए रुनवाल समूह की 475 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी देने के कुछ समय बाद आई है। केनरा बैंक के नेतृत्व में ऋणदाताओं ने सरफेसी कार्यवाही शुरू की और इस महीने की शुरुआत में मॉल को अपने कब्जे में लेने के लिए 475 करोड़ रुपये की बोली हासिल कर ली। इस घटनाक्रम से जुड़े लोगों ने बताया कि पिछले सप्ताह किशोर बियानी ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) का दरवाजा खटखटाया और ऋणदाताओं के फैसले को चुनौती देते हुए खुद ऋण निपटाने की पेशकश की।

उल्लेखनीय है कि साल 2002 में लागू किए गए सिक्यूरिटाईजेशन एंड रिकंडस्ट्रक्शन आफ फाइनेंशियल ऐसेट्स एंड इन्फोर्समेंट आफ सेक्यूरिटी इंटेरेस्ट (SARFAESI) अधिनियम का उद्देश्य बकाया ऋणों की वसूली को सुविधाजनक बनाना और गैर-निष्पादित संपत्तियों को कम करना है। SARFAESI अधिनियम बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने सुरक्षा हितों को लागू करने, संपत्ति की नीलामी करके ऋण की वसूली करने और अदालत के हस्तक्षेप के बिना संपत्ति जब्त करने का अधिकार देता है। यह उन सुरक्षित ऋणों के मामलों में लागू होता है, जिनमें ऋण के बदले संपत्ति गिरवी रखी जाती है।

इस मामले के जानकार लोगों ने बताया कि बियानी ऋणदाताओं के लगातार संपर्क में रहे हैं, लेकिन रुनवाल की बोली को ऋणदाताओं द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद वह और अधिक सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने अब रुनवाल की बोली खत्म करने की पेशकश की है। इसके लिए उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। ऋणदाता अब इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि अदालत इस महीने के अंत में होने वाली इस मामले की सुनवाई में क्या निर्णय सुनाती है।

बता दें कि कर्जदाताओं को पिछले सप्ताह ही रुनवाल से 47.5 करोड़ रुपये या बोली राशि का 10% हिस्सा मिल चुका है। लेकिन डीआरटी में बियानी ने याचिका प्रक्रिया में विलंब कर दिया है। रुनवाल समूह ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सोबो सेंट्रल मॉल में मैकडॉनल्ड्स जॉइंट को छोड़कर कोई किरायेदार नहीं है। यह मुंबई का सबसे पुराना मॉल है। इसका कुल क्षेत्रफल 150,000 वर्ग फुट है।

शहर के भीतर और उपनगरों में नए शॉपिंग माल्स के उद्भव के बाद ही कोविड का झटका लगा, जिसकी वजह से यह माल मंदी के फंदे में उलझ गया। इसके अलावा, इसकी लगभग सभी अचल संपत्तियां फ्यूचर ग्रुप की उन कंपनियों को दे दी गई, जो खुद संकट का सामना कर रही थीं। केनरा बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) खाते में दो प्राथमिक प्रभार धारक हैं, क्योंकि वे कंपनी के प्रत्यक्ष ऋणदाता हैं। केनरा बैंक 131 करोड़ रुपये बकाया ऋण के साथ सबसे बड़ा ऋणदाता है, जबकि पीएनबी का 90 करोड़ रुपये बकाया है।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ मिलकर पीएनबी ने 350 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। इस मामले में बैंकों का पक्ष मांगा गया लेकिन उन्होंने इस संबंध में भेजे गए ईमेल्स का जवाब नहीं दिया। बियानी की बोली को एक बड़े रियल एस्टेट और रिटेल डेवलपर का समर्थन प्राप्त है, जो संभवतः दक्षिण मुंबई में इस वाणिज्यिक संपत्ति के विकास में संभावनाएं देख रहा है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा चूंकि ऋणदाताओं के पास पहले से ही एक गंभीर बोलीदाता है, इस लिए बियानी को अपनी पेशकश को गंभीर बनाने के लिए मेज पर नकदी रखनी होगी।

बियानी ने इस मामले में विभिन्न माध्यमों से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। ऋणदाताओं को उम्मीद है कि इस चार मंजिला वाणिज्यिक भवन के पुनर्विकास की संभावना, रियल एस्टेट में निवेश करने वाले उद्यमियों को आकर्षित कर सकती है। इससे बैंकों को अपने धन की रिकवरी करने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि बैंकों को फ्यूचर ग्रुप से 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, क्योंकि फ्यूचर रिटेल परिसमापन में चला गया था, जबकि फ्यूचर एंटरप्राइजेज खरीदार प्राप्त करने में विफल रहने के बाद दूसरी समाधान प्रक्रिया से गुजर रहा है। सफल होने की स्थिति में भी यह रिकवरी बियानी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह के ऋणदाताओं के लिए दुर्लभ साबित हो सकती है।

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