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अडाणी समूह में निवेश के बाद जीक्यूजी पार्टनर्स को एक माह में मिला 100 फीसदी रिटर्न, मल्टीबैगर बनेंगे कई शेयर

जीक्यूजी पार्टनर्स ने अडाणी समूह की कंपनियों के 200 करोड़ डॉलर के शेयरों की खरीदारी की थी। इसे एक माह में 100 फीसदी से अधिक रिटर्न मिला है।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अ़डाणी समूह के शेयर बुरी तरह से ढह गए थे। शेयरों के इस गिरावट के बीच जीक्यूजी पार्टनर्स ने 200 करोड़ डॉलर के शेयरों की खरीदारी की थी और सिर्फ एक महीने में अडाणी समूह के शेयरों से 100 फीसदी से अधिक रिटर्न हासिल लिया है। जीक्यूजी के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर (सीआईओ) राजीव जैन की खासियत है कि वह उभरते हुए बाजारों में निवेश की रणनीति पर काम करते हैं और उन्होंने ऐसे समय में अडाणी समूह पर दांव लगाकर बंपर रिटर्न पाया है, जब इसके शेयर बुरी तरह टूट रहे थे। राजीव जैन ने खुल ही लाभ नहीं कमाया है। उन्होंने ऐसे समय में अडाणी समूह में पैसा लगाया, निवेशकों का भरोसा समूह की कंपनियों पर से पूरी तरह उठ चुका था। जीक्यूजी पार्टनर्स के निवेश के बाद अडाणी समूह पर लोगों का भरोसा लौटा और उनके शेयरों में बढ़त देखने को मिली थी।

5 सालों में बड़ा रिटर्न देगें अडाणी समूह के कई शेयर

राजीव जैन का मानना है कि अडाणी समूह के शेयर 100 फीसदी से अधिक रिटर्न दे सकते हैं। राजीव जैन ने अपने एक साक्षात्कार में कहा कि इसके शेयर पांच साल में मल्टीबैगर साबित हो सकते हैं। जब अदाणी ग्रुप के शेयरों में बिकवाली हो रही थी तब राजीव जैन ने इसमें बड़ा निवेश इसलिए किया, क्योंकि उनका मानना है कि अडाणी समूह के पास अच्छे-खासे एसेट्स हैं। उदाहरण के लिए कोल माइनिंग, डेटा सेंटर्स और मुंबई एयरपोर्ट में मेजॉरिटी हिस्सेदारी, जैसे अहम एसेट्स ग्रुप के पास हैं। राजीव का कहना है कि सिर्फ एयरपोर्ट ही किसी कंपनी से ज्यादा वैल्यूएबल है।

विकास लक्ष्यों से जुड़े हैं अडाणी समूह के कई प्रोजेक्ट

राजीव जैन के मुताबिक पीएम मोदी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और चीन जैसे देशों से मैनुफैक्चरिंग कंपनियों को आकर्षित करने पर काम कर रहे हैं, तो इस काम में अडाणी समूह काफी मददगार साबित हो सकता है। अडाणी समूह के कई प्रोजेक्ट्स सीधे देश के विकास लक्ष्यों से जुड़े हुए हैं और इकॉनमी के कई सेक्टर्स से हैं। इस वजह से अडाणी समूह की उपयोगिता आगे भी बनी रहने वाली है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट एक अल्पकालिक संकट है। इससे अडाणी समूह जल्दी ही उबर जाएगा। अडाणी समूह की सभी संपनियां शेयर बाजार में अच्छा कामकाज कर रही हैं। उसके शेयरों में निवेशकों का भरोसा लौैटा है, यह एक अच्छा संकेत है।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट की 10 साल पुराने अखबार जितनी अहमियत

अ़डाणी समूह के शेयरों में हिंडनबर्ग के आरोपों के चलते बिकवाली का दबाव बना है। हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया है। इस पर राजीव जैन ने कहा कि इस रिपोर्ट को 10 साल पुराने न्यूजपेपर की तरह पढ़ना चाहिए। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि विदेशी खातों के जरिए अडाणी परिवार ने बाजार नियामक सेबी के नियम का उल्लंघन किया, जिसके तहत लिस्टेड कंपनियों में पब्लिक शेयरहोल्डिंग कम से कम 25 फीसदी रखने का प्रावधान है। इसमें आरोप है कि अडाणी परिवार के पास 75 फीसदी से अधिक शेयर हैं और इसका खुलासा उचित तरीके से नहीं किया गया, लेकिन क्या इसे फर्जीवाड़ा कह सकते हैं?

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